
इज़राइल और ईरान के बीच जारी संघर्ष अब मिसाइल क्षमता और सैन्य संसाधनों की होड़ बन चुका है। दोनों देशों के बीच हुए हालिया हमलों में ईरान ने 180 से अधिक बैलिस्टिक मिसाइलें और आत्मघाती ड्रोन दागे, जिनमें से अधिकांश को इज़राइल की उन्नत एयर डिफेंस प्रणाली—आयरन डोम, डेविड स्लिंग और एरो सिस्टम—ने नष्ट कर दिया।
इस हमले के जवाब में इज़राइल ने ईरान के रडार ठिकानों, मिसाइल लॉन्च साइट्स और न्यूक्लियर सुविधाओं को निशाना बनाते हुए सटीक हवाई हमले किए। बताया जा रहा है कि कई महत्वपूर्ण ईरानी मिसाइल अड्डे पहले ही निष्क्रिय हो चुके हैं। इसके अलावा, ड्रोन और साइबर हमलों के जरिये भी ईरान की रक्षा प्रणाली को नुकसान पहुंचाया गया है।
सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि यह युद्ध पारंपरिक लड़ाई से अधिक मिसाइलों की संख्या और रणनीतिक भंडारण पर आधारित है। अनुमान है कि इज़राइल हर रात लगभग 285 मिलियन डॉलर खर्च कर रहा है अपनी मिसाइल रक्षा प्रणाली को सक्रिय रखने में, जो उसकी आर्थिक क्षमताओं पर भारी दबाव डाल रहा है। वहीं, ईरान की मिसाइल इन्वेंट्री तेजी से घट रही है, और उसके पास अब सीमित विकल्प बचे हैं।
रक्षा रणनीतिकारों के अनुसार, यदि यही हालात बने रहे तो युद्ध की अवधि इस बात पर निर्भर करेगी कि दोनों देशों के पास कितनी देर तक युद्ध सामग्री और मिसाइलें उपलब्ध हैं। ईरान की तैयारियां जहां धीरे-धीरे कमजोर होती दिख रही हैं, वहीं इज़राइल अब तक तकनीकी रूप से बढ़त बनाए हुए है।