
ईरान और इजरायल के बीच हाल ही में छिड़ी 72 घंटे की भीषण जंग ने मध्य पूर्व की स्थिति को और अधिक विस्फोटक बना दिया है। लंबी दूरी से किए गए हमलों, रडार सिस्टम के ध्वस्त होने और सैकड़ों मौतों के आंकड़े इस टकराव की भयावहता को दर्शाते हैं।
📰 जंग का पूरा लेखा-जोखा:
🛩 इजरायल का हमला – 2300 किमी दूर से वार:
इस युद्ध की शुरुआत इजरायल की उस जबरदस्त एयरस्ट्राइक से हुई, जो उसने 2300 किलोमीटर दूर से ईरान के अहम ठिकानों पर की। इजरायल डिफेंस फोर्स (IDF) ने खासतौर पर ईरान के रडार सिस्टम, मिसाइल लॉन्चर, और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया।
➡️ टारगेट्स:
- बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्च साइट्स
- हवाई सुरक्षा रडार
- IRGC के कमांड सेंटर
☠️ कितने मरे, कितना नुकसान हुआ?
पक्ष | मौतें | नुकसान |
---|---|---|
ईरान | 406 | रडार सिस्टम, मिसाइल बेस, कम्युनिकेशन यूनिट, कई IRGC अफसर मारे गए |
इजरायल | 16 | हमास और हिजबुल्ला के रॉकेट अटैक में नागरिक मौतें, सीमावर्ती क्षेत्रों में तबाही |
ईरान में जिन 406 लोगों की मौत हुई, उनमें बड़ी संख्या में सैन्यकर्मी शामिल हैं, जबकि कुछ आम नागरिक भी हताहत हुए। इजरायल में मारे गए 16 लोगों में 12 नागरिक और 4 सैनिक बताए जा रहे हैं।
🔥 जंग के 72 घंटे: क्या हुआ कब?
- पहला दिन:
- इजरायल ने गुपचुप तरीके से लंबी दूरी की मिसाइलों से ईरान पर हमला किया।
- ईरान के सैन्य अड्डों में विस्फोट।
- दूसरा दिन:
- ईरान की जवाबी कार्रवाई, सीमित असर।
- हिजबुल्ला और हमास ने इजरायल पर रॉकेट दागे।
- तीसरा दिन:
- इजरायल ने फिर से जवाबी हमला किया, जिससे ईरान की रडार और कम्युनिकेशन व्यवस्था ठप हो गई।
- कूटनीतिक प्रयास शुरू, अमेरिका और यूएन के हस्तक्षेप की कोशिशें।
🧠 विश्लेषण: कौन भारी पड़ा?
- इजरायल की तकनीकी बढ़त साफ दिखी।
- उसने दुश्मन के रणनीतिक ठिकानों पर अचूक हमला किया और जान-माल की हानि को न्यूनतम रखा।
- वहीं ईरान को भारी सैन्य नुकसान और अंतरराष्ट्रीय दबाव का सामना करना पड़ रहा है।
📌 निष्कर्ष:
इस 72 घंटे की जंग में जहां ईरान को भारी जान-माल का नुकसान उठाना पड़ा, वहीं इजरायल ने एक बार फिर दिखा दिया कि वह अपने दुश्मनों को दूर से भी साध सकता है। हालांकि यह टकराव अभी और बड़े संघर्ष का रूप ले सकता है, इसलिए क्षेत्रीय शांति के लिए वैश्विक कूटनीति की भूमिका अब बेहद अहम हो चुकी है।