
पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री मोहम्मद इशाक डार ने एक बड़े राजनयिक विवाद में नया मोड़ दिया है। उन्होंने स्वीकार किया है कि भारत ने कभी भी भारत-पाकिस्तान संघर्षों में किसी तीसरे पक्ष (third party) की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं किया। यह बयान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के उस दावे के सीधे विपरीत है जिसमें उन्होंने कहा था कि अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष को शांत कराने में मध्यस्थता की थी।
घटनाक्रम
मध्यस्थता का दावा: ट्रम्प ने मई 2025 में सार्वजनिक रूप से सोशल मीडिया (Truth Social) पर कहा था कि अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत करवाई और संघर्ष को समाप्त करने में भूमिका निभाई।
भारत की स्थिति: भारत ने शुरुआत से ही यह रुख अपनाया कि द्विपक्षीय मामले (bilateral issues) में किसी बाहरी मध्यस्थ की जरूरत नहीं है, और बाहरी हस्तक्षेप स्वीकार नहीं करेगा।
इशाक डार की स्वीकरोक्ति: इशाक डार ने Al Jazeera को दिए इंटरव्यू में कहा कि जब अमेरिका ने उनसे बातचीत की, तब भारत ने स्पष्ट कर दिया था कि ये सभी मसले द्विपक्षीय हैं और तीसरे पक्ष की भागीदारी नहीं होगी। उन्होंने बताया कि उन्होंने अमेरिका के सेक्रेटरी ऑफ स्टेट मार्को रूबियो से पूछा कि क्या भारत मध्यस्थता स्वीकार करेगा, तब कहा गया कि भारत… “bilateral issue” कह रहा है।
विश्लेषण और चुनौतियाँ
ट्रम्प के बयान की विश्वसनीयता पर सवाल: इशाक डार के खुलासे से ट्रम्प के मध्यस्थता के दावों की विश्वसनीयता प्रभावित हुई है। यदि भारत ने सचमुच कोई मध्यस्थ स्वीकार नहीं किया, तो ट्रम्प के बयानों को झूठा या अतिरंजित माना जाएगा।
राजनयिक झार-पटक: यह मसला भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे तनावों और युद्धविराम (ceasefire) संबंधी समझौतों की प्रकृति पर नई बहस खोलता है कि क्या वास्तव में बाहरी शक्तियों ने कोई भूमिका निभाई थी, या ये सभी कदम पूरी तरह से सीधे संवादी और द्विपक्षीय थे।
भविष्य की वार्ता पर असर: भारत का इतना स्पष्ट रुख यह संकेत देता है कि किसी भी भविष्य की बातचीत में विदेशी मध्यस्थों की भागीदारी बहुत मुश्किल होगी, खासकर अगर भारत इसे स्वीकार नहीं करता है। पाकिस्तान की तरफ से खुलेपन की बातें हो सकती हैं लेकिन वो तभी हैं जब भारत भी इसके लिए तैयार हो।