
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ‘गाजा शांति प्लान’ को लेकर इज़राइल ने निर्णायक कदम उठाते हुए मिस्र में अपने वार्ताकारों की एक उच्चस्तरीय टीम भेजने का ऐलान किया है। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने शनिवार रात एक बयान में कहा कि शांति वार्ता की दिशा में अब तेजी आई है और आने वाले दिनों में गाजा में बंदी बनाए गए सभी इज़राइली बंधकों की रिहाई संभव हो सकती है। उन्होंने कहा कि मिस्र में यह वार्ता अमेरिकी मध्यस्थता में होगी और इज़राइल पूरी गंभीरता से इस प्रक्रिया को आगे बढ़ा रहा है।
नेतन्याहू ने अपने संबोधन में स्पष्ट कहा कि इज़राइल शांति की दिशा में आगे बढ़ने को तैयार है, लेकिन हमास के निशस्त्रीकरण (disarmament) से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इज़राइल का लक्ष्य है कि गाजा में अब आतंकवादी गतिविधियों की कोई गुंजाइश न बचे और वहां एक स्थायी शांति व्यवस्था कायम की जाए। नेतन्याहू ने यह भी कहा कि अगर हमास सहयोग करता है तो बंधकों की रिहाई और युद्धविराम से जुड़ा पहला चरण तुरंत लागू किया जा सकता है।
वहीं, व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पुष्टि की है कि दो अमेरिकी दूत मिस्र की राजधानी काहिरा पहुंचेंगे, जहां वे मिस्री अधिकारियों और इज़राइली प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करेंगे। उनका मकसद है अमेरिकी शांति प्रस्ताव के तहत बंधकों की रिहाई और युद्ध समाप्ति के रोडमैप को अमल में लाना। अमेरिका लंबे समय से गाजा संकट के समाधान के लिए पर्दे के पीछे सक्रिय भूमिका निभा रहा है।
रिपोर्टों के अनुसार, ट्रंप के इस नए शांति प्रस्ताव में तीन प्रमुख चरण शामिल हैं — पहला, सभी बंधकों की रिहाई; दूसरा, युद्धविराम और मानवीय सहायता की आपूर्ति; और तीसरा, गाजा में स्थायी सुरक्षा और शासन व्यवस्था का पुनर्गठन। इज़राइल की सरकार ने भी संकेत दिया है कि अगर हमास इस प्रस्ताव को गंभीरता से लेता है, तो शांति की दिशा में ऐतिहासिक बदलाव संभव है।
नेतन्याहू ने अंत में कहा कि, “हमारा लक्ष्य स्पष्ट है — हमारे लोग घर लौटें, गाजा में आतंक खत्म हो और क्षेत्र में शांति की एक नई शुरुआत हो।” इज़राइल की इस सक्रियता को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी एक सकारात्मक संकेत के रूप में देखा जा रहा है, खासकर तब जब मध्य पूर्व में तनाव लंबे समय से बना हुआ है।