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सुप्रीम कोर्ट ने J&K की राज्य-स्थापना याचिका पर केंद्र से 8 सप्ताह में जवाब मांगा; “पहलगाम को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता

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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (14 अगस्त 2025) को जम्मू-कश्मीर को पुनः राज्य का दर्जा देने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से आठ सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने यह आदेश दिया। याचिकाएं शिक्षाविद जहूर अहमद भट और सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता अहमद मलिक ने दायर की हैं, जिनमें तर्क दिया गया है कि केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट के पहले के निर्देश के अनुसार राज्य का दर्जा बहाल करना चाहिए।

सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि “पहलगाम में जो हुआ, उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।” हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस तरह का निर्णय संसद और कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में आता है, और अदालत केवल यह देख सकती है कि पहले दिए गए निर्देशों का पालन हो रहा है या नहीं।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि जम्मू-कश्मीर का दर्जा बहाल करने जैसे मुद्दे में कई संवेदनशील और रणनीतिक पहलुओं पर विचार करना पड़ता है। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार इस पर विचार कर रही है और उचित समय पर निर्णय लिया जाएगा।

गौरतलब है कि दिसंबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 370 को रद्द करने के केंद्र के फैसले को बरकरार रखा था और केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि प्रदेश में विधानसभा चुनाव आयोजित होने के बाद राज्य का दर्जा बहाल किया जाए। लेकिन अब तक इस बहाली के लिए कोई ठोस समयसीमा तय नहीं की गई है, जिस पर याचिकाकर्ताओं ने अदालत का दरवाजा खटखटाया है।

अदालत ने मामले की अगली सुनवाई आठ सप्ताह बाद तय की है और उम्मीद जताई है कि तब तक केंद्र सरकार इस मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट कर देगी। इस बीच, जम्मू-कश्मीर में राज्य के दर्जे की बहाली को लेकर राजनीतिक हलकों और आम जनता में चर्चा तेज हो गई है।

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