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“Jawaharlal Nehru University छात्र-संघ चुनाव 2025-26: परिणाम कल घोषित होंगे, पिछले 7 वर्षों के अध्यक्ष कौन-कौन रहे”

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दिल्ली के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय, सिंहावलोकन में जहाँ छात्र राजनीति को बड़े आइने के रूप में देखा जाता है, वहाँ Jawaharlal Nehru University (JNU) में चल रहे छात्र-संघ चुनावों ने एक बार फिर हलचल मचा दी है। इस वर्ष के Jawaharlal Nehru University Students’ Union (JNUSU) चुनावों की मत-गणना जारी है और परिणाम 6 नवंबर 2025 को घोषित किये जाने हैं।

इस चुनाव अभियान में छात्र-संघ की मुख्य चारPosts — अध्यक्ष (President), उप-अध्यक्ष (Vice-President), महासचिव (General Secretary), और संयुक्त सचिव (Joint Secretary) — के लिए प्रतिस्पर्धा रही है। इस बार लगभग 20 उम्मीदवार इन चार प्रमुख पदों के लिए मैदान में हैं।

मतदान का पहला चरण मंगलवार को सम्पन्न हुआ, जिसमें करीब 67 प्रतिशत वोटिंग दर्ज की गई, जो पिछले चुनावों की तुलना में कुछ कम है (पिछले वर्ष करीब 70 प्रतिशत तथा 2023-24 में 73 प्रतिशत)।

चुनावी प्रक्रिया के दौरान पूरे कैंपस में उत्साह देखा गया — सुबह नौ बजे मतदान शुरू हुआ और शाम तक, होस्टल, क्लासरूम, जनसभाओं में सक्रियता और नारों की गूँज रही। मतदाता-मनोरंजन के इस माहौल ने छात्र-राजनीति को फिर नए आयाम दिए।

राजनीतिक रूप से इस छात्र-संघ चुनाव को सिर्फ विश्वविद्यालय का मामला नहीं माना जा रहा — यह बड़े पैमाने पर देश के छात्र-राजनीति के रुझानों का संकेत है। इस बार के मुकाबले में मुख्य तौर पर दो बड़े समूह सामने हैं: एक ओर छात्र बंटवारे के वातावरण में बने ‘Left Unity’ गठबंधन जिसमें All India Students’ Association (AISA), Students’ Federation of India (SFI) और Democratic Students’ Federation (DSF) शामिल हैं; दूसरी ओर, Akhil Bharatiya Vidyarthi Parishad (ABVP) हैं, जिनका अपना अभियान-ढाँचा रहा है।

इसका अर्थ ये भी है कि परिणाम आने के बाद campuses में वातावरण बदल सकता है — नए अध्यक्ष-समिति की नीति क्या होगी, छात्र-मुद्दों पर उनका रुख कैसे होगा, और छात्र-संघ के नितांत आंतरिक-प्रशासनिक फैसलों में बदलाव आएगा कि नहीं — इनपर नजर बनी हुई है।

पर चुनौतियाँ भी हैं। 67 % मतदान दर यह संकेत देती है कि एक-हाथ से सक्रियता बढ़ी तो दूसरी ओर यह कि कुछ छात्रों की भागीदारी पिछली बार के मुकाबले कुछ कम रही। यह विश्लेषकों के लिए चिंताजनक है क्योंकि छात्र-संघ का अर्थ तभी सही मायने में बनता है जब सक्रिय-भागीदारी मजबूत हो।

अब ध्यान इस ओर है कि कौन-से उम्मीदवार विजयी होंगे, किस गठबंधन को बढ़त मिलेगी, और विद्यार्थी-शिक्षक-प्रशासन के बीच नए संवाद का किस तरह निर्माण होगा। जैसे ही परिणाम घोषित होंगे, छात्र-राजनीति में नए समीकरण बनेंगे और इस वर्ष की JNUSU की टीम अपने कार्यकाल की शुरुआत करेगी।

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