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हिरोशिमा जैसे हमलों से आती है शांति

डोनाल्ड ट्रंप ने NATO सम्मेलन में ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हमलों की तुलना हिरोशिमा‑नागासाकी परमाणु हमलों से की, और इसका उपयोग शांति स्थापित करने का नया लॉजिक बताया । ट्रंप का तर्क है कि जैसे द्वितीय विश्व युद्ध में हिरोशिमा‑नागासाकी पर गिराए गए बमों ने युद्ध को रोक दिया था, वैसे ही इस बार अमेरिका की अचानक बमबारी ने 12‑दिन की इस्राइल–ईरान लड़ाई को खत्म करने में अहम भूमिका निभाई ।

ट्रंप ने दावा किया कि:

  • अमेरिका ने तीन प्रमुख ईरानी परमाणु सुविधाओं को “पूरी तरह से तबाह” कर दिया है, जिससे लड़ाई रुकी और ईरान बातचीत के लिए तैयार हुआ।
  • उन्होंने कहा, “वे हमें चौंका नहीं पाए, हम सतर्क थे” और “टारगेट उठा ले जाने में वे सक्षम नहीं थे”—अर्थात अमेरिका की कार्यवाही ‘दूसरे को असावधान’ कर देने की रणनीति थी ।
  • ट्रंप ने एक बार फिर चेतावनी दी कि अगर ईरान फिर न्यूक्लियर कार्यक्रम सक्रिय करता है, तो अमेरिका “फिर से एयर स्ट्राइक करेगा”।

हालांकि ट्रंप ने इसे ‘शांति के लिए बल प्रयोग’ (peace through strength) बताया, आलोचकों ने इसे अत्यधिक हिंसात्मक और खतरनाक कहा। चार देशों — रूस, चीन, पाकिस्तान — ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में “यह तरीका इतिहास नहीं सिखाता” कहा और तुरंत युद्धविराम की अपील की ।

इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ट्रंप के फैसले की प्रशंसा करते हुए कहा कि “ताकत से शांति आती है”, और इसे मिडिल ईस्ट को स्थिरता की दिशा में ले जाने वाला निर्णायक क्षण बताया। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि समय के साथ ईरान फिर से परमाणु कार्यक्रम शुरू कर सकता है, क्योंकि आईएईए ने कहा है कि अभी भी परमाणु गिरोह का पुनर्निर्माण संभव है

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