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कोटा में विश्व का सबसे विशाल रावण पुतला रोशन करेगा दशहरा

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राजस्थान के कोटा में इस वर्ष दशहरा के अवसर पर एक ऐसा आयोजन हो रहा है, जिसे इतिहास में दर्ज किया जाएगा — यहाँ बनाया गया विश्व का सबसे ऊँचा रावण पुतला इस शुभ-अवसर को खास बना रहा है। अनुमान है कि इस पुतले की ऊँचाई 221.5 फीट है, जो न केवल भारत—एशिया की किताबों में दर्ज होने की दावेदारी रखता है, बल्कि इस तरह की अभूतपूर्व भव्यता इवेंट को और महत्वपूर्ण बना रही है।

यह पुतला कुल वजन में लगभग 13.5 टन का है और इसकी संरचना में 10.5 टन से अधिक स्टील का उपयोग किया गया है। निर्माण में करीब 4,000 मीटर मखमली कपड़ा, लगभग 200 किलोग्राम रस्सियाँ, और 25 फीट ऊँचा फाइबरग्लास का चेहरा लगाया गया है। (Times of India) इसे विशेष रूप से मौसम से बचाव के लिए वाटरप्रूफ बनाने की कोशिश की गई है, ताकि अचानक वर्षा का असर इसे कमजोर न कर सके।

इस पुतले का निर्माण एक चुनिंदा टीम द्वारा किया गया — 58 वर्षीय शिल्पकार तेजेंद्र चौहान और उनकी 25 सदस्यीय टीम ने लगभग चार महीने की मेहनत के बाद यह विशाल संरचना तैयार की।ठेके की राशि लगभग ₹44 लाख बताई जा रही है, जिसे कोटा नगर निगम ने स्वीकृति दी। ठेके के अनुसार, निर्माण के लिए इंदौर से एक 220-टन क्षमता का क्रेन लाई गई ताकि पुतले को उठाया और स्थापित किया जा सके।

पिछले वर्ष दिल्ली में 210 फीट की ऊँचाई का रावण पुतला सबसे ऊँचा माना जाता था। लेकिन इस वर्ष कोटा का यह 221.5 फीट पुतला इस रिकॉर्ड को तोड़ने की पूरी तैयारी में है।

दशहरा के उपलक्ष्य में यह पुतला विद्युत् छड़ और पटाखों की सहायक उपायों से जलाया जाएगा, ताकि दहन रोशन और सुरक्षित दोनों तरह से हो सके। आयोजन का मेन डंडा 2 अक्टूबर 2025 को होगा, जब रावण दहन (Ravana Dahan) को मुख्य आकर्षण बनाया गया है। अन्य साथ लगने वाले पुतले — जैसे कुंभकर्ण और मेघनाद — लगभग 60 फीट ऊँचे होंगे।

इस आयोजन में सुरक्षा व्यवस्था को भी विशेष रूप दिया गया है — पुतले के आसपास एक 250 फीट की सुरक्षा ज़ोन रखी गई है और दहन के समय की योजनाएँ सावधानी से तैयार की गई हैं। यह भी बताया गया है कि यह दहन समारोह गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड टीम द्वारा निरीक्षित किया जाना है, ताकि रिकॉर्ड को मान्यता दी जा सके।

यह आयोजन न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि सांस्कृतिक और तकनीकी दृष्टि से भी यह एक बड़ी घटना माना जा रहा है। शिल्प, इंजीनियरिंग, सुरक्षा और आयोजन प्रबंधन — सभी का मिश्रण इस पुतले को सिर्फ एक पर्व का हिस्सा नहीं, बल्कि एक इंजीनियरी चमत्कार बना देता है।

इस पृष्ठभूमि में यह देखा जाना महत्वपूर्ण है कि इस तरह के विशाल आयोजनों का सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभाव क्या होगा — लाखों लोगों की भीड़, सड़क यातायात, जलावलोकन, और स्थायित्व की चुनौतियाँ — ये सब ध्यान देने योग्य है। लेकिन इस वर्ष कोटा ने यह संदेश दे दिया है कि परंपरा और आधुनिकता साथ-साथ चल सकती हैं — और यदि सही तैयारी हो, तो ऐसा आयोजन प्रेरणा का स्रोत बन सकता है।

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