
नेपाल में हाल ही में युवा प्रदर्शनकारियों द्वारा शुरू किए गए Gen-Z आंदोलन के दौरान हुई हिंसा के बाद प्रशासन और न्यायिक आयोग ने कड़ा कदम उठाया है। सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस गौरी बहादुर कार्की की अध्यक्षता में गठित विशेष न्यायिक आयोग ने पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली समेत पांच प्रमुख नेताओं के पासपोर्ट रद्द करने और काठमांडू छोड़ने पर रोक लगाने का आदेश दिया है।
आयोग का कहना है कि यह कार्रवाई घटनाओं की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने और किसी भी दोषी को कानून के दायरे में लाने के लिए की गई है। आयोग ने नेपाल पुलिस, सशस्त्र प्रहरी बल और राष्ट्रीय अनुसंधान विभाग को इन नेताओं की गतिविधियों पर नजर रखने और दैनिक रिपोर्टिंग करने का निर्देश भी दिया है।
आयोग ने विशेष रूप से यह चेतावनी दी है कि पासपोर्ट निलंबन और निगरानी के माध्यम से जांच में किसी भी तरह के बाहरी दबाव या भागने की कोशिश को रोका जाएगा।
इस Gen-Z आंदोलन के दौरान कई शहरों में युवा प्रदर्शनकारियों ने सरकार के खिलाफ विरोध जताया। प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क उठी और प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए सुरक्षा बल तैनात किए। इस आंदोलन ने नेपाल की राजनीतिक स्थिरता और युवा राजनीति में बढ़ती भागीदारी पर भी सवाल खड़ा किया है।
आयोग की यह कार्रवाई राजनीतिक accountability और सत्ताधारी और विपक्षी नेताओं की जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।