
लोकसभा में बुधवार को चुनावी सुधार और फर्जी मतदाता सूची (SIR) को लेकर हुई गरमागरम बहस ने पूरे सदन का माहौल बदल दिया। बहस उस समय और तीखी हो गई जब विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को खुली बहस (ओपन डिबेट) की सीधी चुनौती दे दी। राहुल गांधी ने कहा कि वे SIR और फर्जी वोटरों के मुद्दे पर तैयार हैं और चाहते हैं कि अमित शाह देश के सामने बैठकर सभी सवालों के जवाब दें।
राहुल गांधी की इस चुनौती पर अमित शाह ने भी पीछे हटने का कोई संकेत नहीं दिया। उन्होंने तीखे अंदाज़ में कहा कि वे राहुल गांधी की सभी प्रेस कॉन्फ्रेंस—साधारण, एटम-बम और हाइड्रोजन-बम—तीनों का जवाब देंगे। साथ ही उन्होंने जोर देकर कहा कि उनके भाषण का क्रम वे खुद तय करेंगे, कोई उन्हें निर्देश नहीं दे सकता। शाह के इस बयान पर सदन में कुछ देर के लिए हलचल देखने को मिली।
अमित शाह ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी चुनाव आयोग और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं पर अनावश्यक सवाल उठाकर देश को भ्रमित कर रही है। उन्होंने कहा कि विपक्ष लगातार “वोट चोरी” और “फर्जी मतदाताओं” का मुद्दा उछालकर भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहा है। शाह ने यह भी कहा कि लोकतंत्र में “दोहरे मापदंड” नहीं चल सकते और देश की चुनावी व्यवस्था दुनिया की सबसे भरोसेमंद प्रणालियों में से एक है।
दूसरी ओर, राहुल गांधी बार-बार यह कहते दिखे कि SIR यानी Suspicious Irregular Registrations की जांच और पारदर्शिता जरूरी है, क्योंकि इससे चुनावी प्रक्रिया पर जनता का विश्वास प्रभावित होता है। उन्होंने दावा किया कि फर्जी वोटरों की वजह से कई सीटों पर परिणाम संदिग्ध हो सकते हैं और इसी पर चर्चा के लिए वे खुली बहस चाहते हैं।
बहस के दौरान दोनों नेताओं के बीच हुए कई तीखे वार्तालाप ने सदन का माहौल गर्म बनाए रखा। स्पीकर को कई बार हस्तक्षेप करना पड़ा, जिसके बाद अंततः कार्यवाही अगले दिन सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।



