
मेडागास्कर में तख्तापलट: राष्ट्रपति देश छोड़कर भागे, सेना ने संभाली सत्ता
मेडागास्कर में राजनीतिक संकट ने अचानक तख्तापलट का रूप ले लिया है। राष्ट्रपति एंड्री राजोएलिना देश छोड़कर भाग गए हैं, जबकि सेना ने नए प्रमुख की नियुक्ति कर सत्ता अपने हाथ में ले ली है। राजधानी अंतानानारिवो में हाल के दिनों में उभरे युवा आंदोलनों और सेना की बगावत ने पूरे देश को हिला दिया है।
जनरेशन Z के नेतृत्व में भड़का गुस्सा
पिछले कई हफ्तों से मेडागास्कर में Gen Z (जनरेशन Z) के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन चल रहे थे। लोग सरकार की नीतियों, भ्रष्टाचार, बिजली-पानी की किल्लत और बढ़ती महंगाई से नाराज़ थे। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो और विरोध के नारे “न्याय चाहिए, बदलाव चाहिए” ने आंदोलन को और व्यापक बना दिया।
सेना का बगावत में शामिल होना
स्थिति तब बिगड़ गई जब देश की विशेष सेना इकाई CAPSAT यूनिट ने प्रदर्शनकारियों का साथ देते हुए विद्रोह कर दिया। इस यूनिट ने सरकार की नीतियों पर खुलकर सवाल उठाए और राजधानी में कई सरकारी ठिकानों का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया। इसी दौरान सेना ने नया आर्मी चीफ नियुक्त कर स्पष्ट संकेत दे दिया कि अब कमान उनके हाथों में है।
राष्ट्रपति ने देश छोड़ने की पुष्टि की
सेना के दबाव और जनाक्रोश के बीच राष्ट्रपति एंड्री राजोएलिना ने देर रात देश छोड़ दिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक वे अपनी जान के खतरे को देखते हुए विदेश रवाना हुए हैं। हालांकि उन्होंने अभी तक औपचारिक रूप से इस्तीफा नहीं दिया, लेकिन उनके देश छोड़ने को लोगों ने “लोकतंत्र पर हमला” बताया है।
तख्तापलट की जड़ें और राजनीतिक पृष्ठभूमि
राजोएलिना पर लंबे समय से भ्रष्टाचार, अक्षमता और फ्रांसीसी नागरिकता छिपाने के आरोप लगते रहे हैं। उनके शासन में बेरोजगारी, बिजली-पानी की समस्या और गरीबी ने जनता का भरोसा तोड़ दिया। विरोध प्रदर्शनों के दौरान सुरक्षा बलों की कार्रवाई में कई लोगों के घायल होने से हालात और बिगड़ गए।
गौरतलब है कि 2009 में भी इसी CAPSAT यूनिट ने तख्तापलट में अहम भूमिका निभाई थी, जब तत्कालीन सरकार को गिरा दिया गया था।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
अफ्रीकी संघ और संयुक्त राष्ट्र ने मेडागास्कर की स्थिति पर चिंता जताई है। फ्रांस और अमेरिका ने संयम बरतने और संविधान बहाल करने की अपील की है। विश्लेषकों का मानना है कि इस तख्तापलट से न सिर्फ मेडागास्कर बल्कि अफ्रीका के अन्य लोकतांत्रिक देशों में भी अस्थिरता का असर पड़ सकता है।