
मध्य प्रदेश सरकार ने प्रदेश के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल और जैविक विविधता से भरपूर पचमढ़ी अभयारण्य का नाम बदलने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 3 जून 2025 को इस ऐतिहासिक घोषणा के दौरान कहा कि अब यह अभयारण्य “राजा भाभूत सिंह पचमढ़ी अभयारण्य” के नाम से जाना जाएगा।
मुख्यमंत्री ने बताया कि यह निर्णय गोंडवाना साम्राज्य के वीर योद्धा राजा भाभूत सिंह के सम्मान में लिया गया है, जिन्होंने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजों के खिलाफ वीरता से संघर्ष किया था। राजा भाभूत सिंह को कोंकण जनजाति का गौरव माना जाता है और वे नर्मदा अंचल के शिवाजी के रूप में प्रसिद्ध हैं। उन्होंने गुरिल्ला युद्ध की रणनीति अपनाकर ब्रिटिश सत्ता को कई बार चुनौती दी थी।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि यह नाम परिवर्तन केवल प्रतीकात्मक नहीं है, बल्कि एक बड़े सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दायित्व की पूर्ति है। राजा भाभूत सिंह को वर्षों तक नजरअंदाज किया गया, जबकि उनका योगदान अद्वितीय था। सरकार ने निर्णय लिया है कि उनके नाम पर:
- एक स्मारक (memorial) का निर्माण किया जाएगा,
- एक शैक्षणिक संस्थान को नामित किया जाएगा,
- और एक स्मृति उद्यान की स्थापना भी की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि मध्य प्रदेश की अगली कैबिनेट बैठक पचमढ़ी में आयोजित की जाएगी, जहां उनकी वीरता और बलिदान को औपचारिक श्रद्धांजलि दी जाएगी।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने यह भी दोहराया कि राज्य सरकार जनजातीय नायकों के योगदान को राष्ट्रीय पटल पर लाने के लिए प्रतिबद्ध है।
📍राजा भाभूत सिंह – एक संक्षिप्त परिचय:
- संबंध: गोंडवाना राज्य, कोंकण जनजाति
- विद्रोह: 1857 का स्वतंत्रता संग्राम, ब्रिटिश विरोधी
- प्रसिद्ध उपनाम: नर्मदा क्षेत्र के शिवाजी
- रणनीति: गुरिल्ला युद्ध, स्थानीय समर्थन
- विशेषता: आदिवासी और ग्रामीण जनमानस में आज भी पूजनीय