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महाराष्ट्र सरकार ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं को दिवाली उपहार

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दिवाली की पूर्व संध्या पर महाराष्ट्र सरकार ने सामाजिक कल्याण की दिशा में एक स्वागत योग्य कदम उठाया है — राज्य सरकार ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका को ₹2,000 की “भाऊ-बीज उपहार राशि” (Diwali gift) देने का फैसला किया है। इस निर्णय की घोषणा महिला एवं बाल विकास मंत्री आदिती तटकरे ने की है।

मंत्री तटकरे ने कहा कि इस वर्ष यह राशि राज्य स्तर पर लगभग ₹40.61 करोड़ की धनराशि स्वीकृत की गई है, और इसे जल्द ही ICDS (Integrated Child Development Services) के आयुक्तों द्वारा लाभार्थियों के बैंक खातों में सीधे जमा किया जाएगा।

उन्होंने यह भी कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं हमारे समाज की वह शक्ति हैं, जो महिलाओं और बच्चों के पोषण, स्वास्थ्य और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इस उपहार का उद्देश्य उन्हें त्योहारों का आनंद देना और उनका योगदान सम्मानित करना है।

सरकार ने एक सरकारी निर्णय (GR – Government Resolution) जारी कर इस पहल को विधिवत रूप दिया है। इस कदम से राज्य भर में समर्थन प्राप्त किया गया है और इसमें उम्मीद जताई जा रही है कि हजारों आंगनबाड़ी कर्मियों और सहायिकाओं की दिवाली खुशहाली भरी होगी।

इस कदम का महत्व और अपेक्षित प्रभाव

  1. मान्यता एवं सम्मान
    यह राशि न केवल आर्थिक सहायता है, बल्कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं के कार्य को सम्मान देने का प्रतीक भी है। अक्सर ये महिलाएँ सीमित संसाधनों में काम करती हैं, और इस तरह का तोहफा उनके मनोबल को बढ़ा सकता है।

  2. आर्थिक राहत
    ₹2,000 की राशि यदि समय रहते दी जाए, तो त्योहारों की खरीदारी और घरेलू आवश्यकताओं में कुछ राहत मिल सकती है।

  3. प्रेरणा और विश्वास
    यह पहल अन्य राज्यों और केंद्र सरकारों को भी प्रेरित कर सकती है कि वे अपनी सामाजिक कल्याण योजनाओं में इस तरह का उत्साहवर्धन भत्ता शामिल करें।

  4. क्रियान्वयन चुनौतियाँ

    • लाभार्थियों की सूची का सत्यापन, बैंक खाता विवरणों की पुष्टि, वितरण प्रक्रिया की पारदर्शिता आदि चुनौतियाँ सामने आ सकती हैं।

    • दूरदराज़ या ग्रामीण क्षेत्र में काम करने वालों तक यह राशि पहुंचने में समय लग सकता है।

    • यदि वितरण प्रक्रिया सुचारू न हो, तो कुछ हिस्सों में देरी या बंटवारे में असमानता हो सकती है।

  5. दीर्घकालिक असर
    यह पहल यदि सफल रही, तो भविष्य में अन्य कल्याण योजनाओं में ऐसे एक-समय अनुदान या बोनस देने की प्रक्रिया को स्थापित करने का रास्ता भी बनेगी।

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