
मध्य-पूर्व में युद्ध विराम की एक नई कोशिश टूट गई है। इजरायल के प्रधानमंत्री Benjamin Netanyahu ने हाल में हुए सीज़फायर को खत्म कर दिया है और गाजा पट्टी में ‘ज़ोरदार’ हमलों का आदेश दिया है। इस कदम ने अमेरिकी व कतरी मध्यस्थता द्वारा हासिल हुए हाल-फिलहाल समझौते को धक्का दिया है।
समझौते के मुताबिक टकराव में शामिल दोनों पक्षों — इजरायल व हमास — ने बंधकों की रिहाई, सेना की पीछे हटने जैसी शर्तें मानी थीं। लेकिन इस समझौते की असल ज़मीन पर पुष्टि नहीं हो पाई क्योंकि हमास हथियार डालने को तैयार नहीं था तथा इजरायल-फिलिस्तीन दोनों ओर से राजनीतिक व व्यावहारिक बाधाओं का सामना करना पड़ा।
इसके अतिरिक्त, अरब देशों ने इस शांति प्रस्ताव का ज़बरदस्त समर्थन दिखाया था, लेकिन उनकी भागीदारी व प्रतिबद्धता कम दिखी। कुछ देशों ने केवल ‘सद्भावना’ जताई और ठोस कार्रवाई नहीं की।
वेस्ट बैंक में इजरायल द्वारा की गई कार्रवाइयाँ, बंधकों की रिहाई में विलंब और लोकल फिलिस्तीनी विरोध ने इस समझौते को कमजोर कर दिया। साथ ही, गाजा में तैनात की जाने वाली अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा फोर्स (ISF) को हमास ने स्वीकार नहीं किया, जिसे इस शांति प्रस्ताव की अहम कड़ी माना गया था।
इस प्रकार, ट्रंप द्वारा प्रस्तुत शांति योजना और उसके अंतर्गत हुआ सीज़फायर अब अस्थिरता के दौर में दिख रहा है। इस नई टकराव की स्थिति से यह स्पष्ट हो रहा है कि समझौते की रूपरेखा जितनी भव्य थी, उतने ही कमज़ोर रीति-नीति व वास्तविक प्रतिबद्धता उसके पीछे नजर आई।



