
अमेरिका द्वारा भारत पर 50 प्रतिशत टैक्स बढ़ाने के फैसले पर भारतीय राजनीतिक माहौल में तीखी प्रतिक्रिया आयी है। पूर्व विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर ने डोनाल्ड ट्रंप के ऐसे कदम को निष्पक्षता के खतरनाक उल्लंघन के रूप में देखा है। उनका कहना है कि अगर रूस से तेल खरीदना अपराध है तो जर्मनी और चीन के खिलाफ भी समान कार्रवाई होनी चाहिए, क्योंकि वे भी रूस से ऊर्जा आयात करते हैं।
एमजे अकबर ने अपने बयान में आगे कहा कि अमेरिकी नीति में द्वैध मानदंड साफ़ तौर पर दिखते हैं। एक तरफ वह भारत पर रूसी तेल खरीदने का आरोप लगाता है, जबकि दूसरे देश जो उसका बड़ा हिस्सा खरीदते हैं, उन पर कोई कार्रवाई नहीं करता। यह व्यापार और भू-राजनीति में असंगत बनाएँ रखते हुए, शीत युद्ध की सोच की ओर वापसी जैसा ही लगता है।
उनका तर्क था कि मूलतः ट्रंप के यह कदम पूंजीवाद को कमजोर करने, और संरक्षणवादी नीतियों को बढ़ावा देने जैसा है। इसके साथ ही मिनरल्स और तेल जैसे संसाधनों के लिए द्वारणीय व्यवहार भी स्पष्ट हो रहा है।
एमजे अकबर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शैली की भी प्रशंसा की, कहा कि उन्होंने बड़े धैर्य और चतुर रणनीति से प्रतिक्रिया दी। मोदी की चुप्पी और आत्मनिर्भरता की नीति ने भारत की संप्रभुता को बनाए रखने में मदद की है।
लोग और व्यापारी वर्ग भी चिंतित हैं क्योंकि इस 50 प्रतिशत टैक्स से छोटे निर्यातक, विशेषकर गुजरात और अन्य राज्यों के उद्योग, बड़े रूप से प्रभावित होने की आशंका जत रहे हैं। सरकार ने इसके प्रभाव को कम करने के लिए वैकल्पिक बाजार तलाशने, वित्तीय सहायता देने और व्यापार विविधीकरण की योजना बनाने की बात कही है।