
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसदीय बहस के दौरान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के सिलसिले में जोरदार भाषण देते हुए पाकिस्तान और कांग्रेस नेतृत्व—विशेषकर जवाहरलाल नेहरू—पर लगातार निशाना साधा। मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने पाकिस्तान को PoK देने में भूमिका निभाई है और 1962 के बाद Aksai Chin क्षेत्र भी खो था, जिसे कांग्रेस सरकारों ने “बंजर जमीन” कहकर छोड़ दिया था।
गृहमंत्री अमित शाह ने भी कांग्रेस की नीतियों को कटघरे में खड़ा करते हुए आरोप लगाया कि 1948 में तत्कालीन सरकार ने PoK गंवा दिया और Nehru की नीति ही आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली रही। उन्होंने कांग्रेस को वोट बैंक की राजनीति और नरमी की राजनीति का दोषी बताया जिससे आतंकवाद आगे बढ़ सका।
शाह ने एक अन्य बड़ा दावा करते हुए कहा कि 2014 से 2025 तक देश में कश्मीर क्षेत्र से बाहर कोई बड़ी आतंकी घटना नहीं हुई, जिससे यह दावा किया गया कि “टेररिज्म कश्मीर से बाहर हर गया।” हालांकि, तथ्य-जाँच से पता चलता है कि Pathankot (2016), Bodh Gaya (2018), Bengaluru (2024) जैसे हमले भी हुए थे, इसलिए इस दावा को आंशिक रूप से अतिशयोक्ति माना जा रहा है।
मोदी ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत अब परमाणु ब्लैकमेल स्वीकार नहीं करेगा और पाकिस्तान के साथ आगे सिर्फ आतंकवाद और PoK वापसी जैसे मुद्दों पर ही बातचीत करेगा, अन्य किसी विषय पर नहीं।
परिणाम स्वरूप—शाह ने संसद में कहा कि Pahalgam हमले में शामिल तीन आतंकियों को Operation Mahadev में निष्क्रिय कर दिया गया है, जिनके पास Pakistan संबंधी प्रमाण भी बरामद हुए जैसे मतदाता पहचान पत्र, चॉकलेट्स और।
प्रधानमंत्री मोदी ने अमित शाह की प्रभावशाली भाषण को “Phenomenal” बताते हुए समर्थन जताया और कहा कि यह सरकार की स्पष्ट दृष्टि को दर्शाता है, खासकर राष्ट्रीय सुरक्षा एवं आतंकवाद विरोधी कार्रवाई की रणनीति को लेकर।
कुल मिलाकर, मोदी‑शाह के एकीकरण ने कांग्रेस पर आक्रमण करके उसे राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में जिम्मेदार ठहराया, इतिहास पर सवाल उठाए और भारत की रणनीतिक दिशा को दोहराया।