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दिल्ली में दिवाली के बाद वायु प्रदूषण की चपेट — सुबह की सैर तय करें या टालें?

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दिवाली के त्योहारी उत्साह और आतिशबाज़ियों के बाद दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र फिर से गंभीर वायु प्रदूषण की समस्या से जूझ रहा है। मंडियों, सड़कों, कॉलोनियों में उत्सव की राख-धूल, पटाखों के अवशेष और ठंडी-हवा के कारण नीचे दबे प्रदूषक कणों ने हवा को बेहद जहरीला बना दिया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, कई स्थानों पर एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) ‘बहुत खराब’ से ‘खतरनाक’ श्रेणी में पहुंच चुका है।

इस सिलसिले में यह सवाल उठ रहा है: क्या सुबह की सैर पर निकलना अभी सुरक्षित है? स्वास्थ्य-विशेषज्ञों, पर्यावरण विज्ञानों और डॉक्टरों की सलाह इस समय शांत नहीं है — विशेषकर उन लोगों के लिए जिनमें श्वसन-सम्बंधी रोग हैं, बच्चों और वृद्ध-जन शामिल हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में चेतावनी दी गई है कि इस वक़्त बाहरी गतिविधियाँ, विशेषकर सुबह-सुबह की सैर, जोखिम भरी हो सकती हैं।

प्रमुख कारण

  1. दिवाली के दौरान पटाखों के जलने से हवा में बहुत बड़ी मात्रा में पीएम2.5 तथा पीएम10 जैसे सूक्ष्म कण उत्सर्जित हुए, जो सांस के माध्यम से गहरे फेफड़ों में जा सकते हैं।

  2. ठंडी-हवा, कम वायुपरिवर्तन और ठहराव की स्थिति ने इन कणों को नीचे बंद कर दिया है, जिससे सुबह-सुबह इनका घनत्व अधिक महसूस होता है।

  3. वाहन-निर्मिति, निर्माण-धूल, आस-पास के राज्यों से आ रहे खेतों के जले हुए अवशेष आदि भी इसमें योगदान दे रहे हैं।

स्वास्थ्य-प्रभाव
इस समय यदि कोई सुबह-सुबह सैर पर निकल रहा है, तो उसे निम्न जोखिम हो सकते हैं: गले में खराश, खाँसी, सांस लेने में तकलीफ, आँखों-नाक में जलन, और लंबे समय में फेफड़ों-और हृदय-रोगों का खतरा। विशेष रूप से अस्थमा, क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज़ (COPD) या अन्य श्वसन-रोग वाले लोगों को बाहर निकलने से बचने की सलाह दी जा रही है।

क्या करें-क्या ना करें?

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