
मॉनसून सत्र में ऑपरेशन सिंदूर को लेकर संसद में तीव्र बहस हुई। गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि अप्रैल 22 को होने वाले पहलगाम आतंकी हमले के बाद तीन संदिग्ध आतंकियों को ऑपरेशन महादेव के दौरान खदेड़ कर मार गिराया गया—इनका संबंध पाक आधारित लश्कर-ए-तैयबा से था और उन्हें गवाहों व फॉरेंसिक सबूतों से पहचाना गया।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि कई रणनीतिक विकल्पों के बीच आतंकवादी अड्डों को अधिकतम क्षति पहुँचाने का निर्णय लिया गया, लेकिन नागरिकों की रक्षा को ध्यान में रखते हुए सैन्य ठिकानों को हानि नहीं पहुँची।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बताया कि अमेरिकी उपराष्ट्रपति जे.डी. वांस ने प्रधानमंत्री मोदी को 9 मई की शाम को एक बड़े पाकिस्तानी आक्रमण की चेतावनी दी थी, जिसे भारतीय सेनाओं ने सफलतापूर्वक विफल कर दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में कहा कि ऑपरेशन सिंदूर केवल 22 मिनट में पूरा हुआ और पाकिस्तान की डीजीएमओ ने ‘बहुत मारा है, अब और नहीं’ कहते हुए संघर्ष विराम की याचना की। साथ ही उन्होंने कहा कि विश्व ने भारत की सैन्य ताकत देखी और Made‑in‑India हथियारों ने पाकिस्तान की क्षमताओं को बेनकाब कर दिया ।
विपक्ष ने सरकार पर आरोप लगाया कि रणनीतिक निर्णयों में पारदर्शिता का अभाव रहा, विशेष रूप से संघर्ष विराम और विदेशी दावों पर उनकी चुप्पी पर तीखी प्रतिक्रिया दी। राहुल गांधी ने कहा कि सरकार ने पाकिस्तान से कहा कि हम आपके सैन्य ठिकानों पर हमला नहीं करेंगे, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि राजनीतिक नेतृत्व ने सेना को सीमित रखा था।
अमित शाह ने विपक्ष को विदेशी रिपोर्टों पर अधिक भरोसा करने के लिए भी फटकार लगाई, जबकि विपक्ष ने अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा संघर्ष विराम में हस्तक्षेप के दावे पर सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाया।
अंत में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत अब आतंकवाद और परमाणु ब्लैकमेल को बर्दाश्त नहीं करेगा और अब आगे जो भी वार होगा, वह भारत की शर्तों पर होगा I