उत्तराखंड में जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव के दौरान नैनीताल के एक मतदान स्थल से पांच कांग्रेस के जिला पंचायत सदस्य के कथित अपहरण के मामले पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। मामला 14 अगस्त को सामने आया, जब भाजपा की ओर से चुनाव के दौरान कांग्रेस कर्मियों को मतदान से रोकने के लिए अपहरण करवाने का आरोप लगा था। अदालत ने इस पूरे घटनाक्रम की बागडोर संभाले SSP (प्रहलाद नारायण मीणा) से तीखी टिप्पणी करते हुए पूछा—क्या हम अंधे हैं—और पुलिस की सुनने की निष्क्रियता और लापरवाही पर गंभीर आशंका जताई है।
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस G. नरेंद्र और जस्टिस आलोक मेहरा की बेंच ने कहा कि वीडियो में साफ दिखा कि हथियारबंद लोगों को मतदान स्थल से करीब 100 मीटर तक बिना रोके जाने दिया गया था और पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने SSP से यह भी पूछा कि क्या आपको इस घटनाक्रम से पहले सूचना नहीं मिली? अदालत ने सुझाव दिया कि क्या SSP का ट्रांसफर किया जाना उचित नहीं होगा।
उच्च न्यायालय ने जिलाधिकारी वंदना सिंह और SSP से चारों सदस्य के सुरक्षित मतदान से पहले और बाद की स्थिति पर एक साफ-सुथरा हलफनामा अदालत में पेश करने का निर्देश दिया है। आरोप है कि पुलिस वीडियो रिकॉर्डिंग दिखाई गई घटना पर महज तमाशा बनी रही, जिसके चलते लोकतंत्र को धक्का लगा है। नतीजा यह रहा कि चुनाव स्थल पर माहौल हिंसक हो गया।