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नेशनल हेराल्ड मामले में दिल्ली कोर्ट ने सोनिया-राहुल गांधी को बड़ी राहत दी

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नई दिल्ली — नेशनल हेराल्ड मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दाखिल की गई चार्जशीट पर दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने संज्ञान लेने से मंगलवार को इनकार कर दिया, जिससे कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी को महत्वपूर्ण कानूनी राहत मिली है। अदालत के इस आदेश को विपक्षी दल के लिए एक बड़ी जीत माना जा रहा है, क्योंकि इससे मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ी जांच में फिलहाल अड़चन आ गई है और मामले की कानूनी सीमा पर गंभीर सवाल उठे हैं।

अदालत ने अपने फैसले में कहा कि ED की चार्जशीट का विधिक आधार सही नहीं है, क्योंकि यह मूल अपराध (predicate offence) के रूप में FIR पर आधारित नहीं है — जो PMLA (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) के तहत दर्ज मामले में जरूरी होता है। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि जब तक किसी scheduled offence के लिए FIR दर्ज नहीं होती, तब तक मनी लॉन्ड्रिंग केस की जांच और अभियोजन को वैध नहीं माना जा सकता। इसी तकनीकी आधार पर कोर्ट ने ED की चार्जशीट पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया।

इससे पहले ED ने इस मामले में 9 अप्रैल 2025 को आरोपियों में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के अलावा सैम पित्रोदा, सुमन दुबे, सुनील भंडारी, यंग इंडियन और डोटेक्स मर्चंडाइज प्राइवेट लिमिटेड को भी नामित करते हुए चार्जशीट दाखिल की थी, जिसमें कथित रूप से AJL की संपत्तियों का 988 करोड़ रुपये से अधिक की मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा आरोप लगाया गया था।

कोर्ट ने यह भी कहा कि चार्जशीट पर संज्ञान लेने से पहले एफआईआर की मौजूदगी जरूरी है, और फिलहाल पुलिस द्वारा दर्ज FIR की नकल चार्जशीट के साथ संलग्न नहीं कराई गई है। अदालत के इस आदेश को तकनीकी आधार पर लिया गया निर्णय बताया जा रहा है, न कि आरोपों की सत्यता या असत्यता पर कोई अंतिम निर्णय।

कांग्रेस पार्टी ने अदालत के इस फैसले का स्वागत करते हुए इसे “सत्य की जीत” बताया है और कहा कि यह राजनीति से प्रेरित अभियोजन के खिलाफ एक महत्वपूर्ण राहत है। वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने कहा कि मामले को लेकर ED की कार्रवाई राजनीतिक दुराशा से प्रेरित है और अदालत ने इसे स्पष्ट कर दिया है।

वहीं ED ने कोर्ट के इस आदेश को केवल तकनीकी आधार वाला बताया है और कहा है कि वह आदेश के खिलाफ अपील दायर करेगा। ED का कहना है कि वह जांच जारी रखेगा और जरूरत पड़ने पर FIR / चार्जशीट को वैध आधार पर प्रस्तुत करेगा ताकि आगे की कानूनी प्रक्रिया संभव हो सके।

राजनीतिक मोर्चे पर इस फैसले के बाद कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार और जांच एजेंसियों की आलोचना की है, जबकि भाजपा की ओर से कहा गया है कि मामले की सुनवाई अभी भी जारी है, और यह निर्णय केवल चार्जशीट के तकनीकी आधार पर लिया गया है — इससे आरोपों की गंभीरता कम नहीं होती।

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