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“देश में नक्सल-माओवादी प्रभावित जिलों की संख्या अब मात्र 11 — पिछली ऊँचाई 125”

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देश की आंतरिक सुरक्षा-स्थिति में एक अहम मोड़ सामने आया है। Narendra Modi ने हाल ही में घोषणा की है कि देश में नक्सल-माओवादी (लेफ्ट विंग एक्सट्रीमिज़म) से प्रभावित जिलों की संख्या अब पिछले एक दशक में लगभग 125 से घटकर केवल 11 हुई है।यह आंकड़ा यह संकेत दे रहा है कि सरकार द्वारा चलाए जा रहे समन्वित सुरक्षा व विकास अभियानों ने नक्सल समस्या को काबू करने की दिशा में प्रगति की है।

बयान के अनुसार, पिछले 75 घंटों में ही 303 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है, जिनमें से कई के नाम पर लाखों रुपये का इनाम था। यह हालिया घटना इस अभियान की गति व असर को दर्शाती है।


क्या बदला है — परिस्थिति की समीक्षा

नक्सल-माओवादी आंदोलन वर्ष-दर-वर्ष भारत के कई राज्यों में सक्रिय रहा है, जो “रेड कोरिडोर” कहलाने वाले इलाकों में फैला हुआ था, जिसमें जंगली व आदिवासी क्षेत्र शामिल हैं। इस अभियान ने इन इलाकों में विकास-कार्य को बाधित किया, सामाजिक अवसंरचना कमजोर की, और सुरक्षा बलों तथा आम नागरिकों के लिए जोखिम उत्पन्न किया।

अब जब प्रभावित जिलों की संख्या बहुत कम हुई है, तो यह निम्नलिखित कारणों से संभव माना जा रहा है:


बाकी चुनौतियाँ व आगे का रास्ता

हालाँकि संख्या में गिरावट आई है, लेकिन चुनौतियाँ अब भी बनी हुई हैं:


निष्कर्ष

यह देखना महत्वपूर्ण है कि यह संख्यात्मक सफलता केवल एक प्रारंभिक मीलपाट हो सकती है। जब तक विकास-प्रवर्तन, सामाजिक समावेश और सुरक्षा-रूपरेखा एक साथ नहीं चलेँगे, तब तक “नक्सल-मुक्त भारत” की दिशा में पूरा भरोसा नहीं कहा जा सकता। हालांकि, प्रभावित जिलों की संख्या में इतनी बड़ी कमी निश्चित ही एक सकारात्मक संकेत है और सरकार की रणनीतियों को समर्थन देती है।

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