
भारत और अमेरिका के संयुक्त प्रयास से विकसित हुआ NISAR (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) सैटेलाइट जल्द ही पृथ्वी पर निगरानी के लिए एक क्रांतिकारी बदलाव लाने जा रहा है। इस सैटेलाइट की खासियत यह है कि यह मोटे बादलों, धूल और अंधेरे के बावजूद धरती की सतह को साफ-साफ स्कैन कर सकता है।
NISAR सैटेलाइट सिंथेटिक एपर्चर रडार तकनीक से लैस है, जो पृथ्वी की सतह पर होने वाले बदलावों जैसे भूकंप, भूस्खलन, बर्फबारी, जंगलों में कटाई, तटीय क्षरण और हिमनदों के पिघलने जैसी घटनाओं की बारीकी से निगरानी कर सकेगा। इसका उपयोग जलवायु परिवर्तन से जुड़े अनुसंधान में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
इसरो और नासा के इस साझा प्रोजेक्ट से न केवल विज्ञान जगत को गहन जानकारी मिलेगी, बल्कि आपदा प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण जैसे क्षेत्रों में भी बड़ी मदद मिलेगी। यह सैटेलाइट 2024 के अंत तक आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जा सकता है।
वैज्ञानिकों के अनुसार, NISAR हर 12 दिनों में पृथ्वी की सतह को दोबारा स्कैन करेगा, जिससे किसी भी प्रकार के परिवर्तन को समय रहते पकड़ा जा सकेगा। इससे जलवायु परिवर्तन, कृषि, वनस्पति और आपदा चेतावनी जैसे मामलों में बड़े स्तर पर सहयोग मिलेगा।