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ईरान-इज़राइल युद्ध पर उमर अब्दुल्ला की शांति की अपील

ईरान और इज़राइल के बीच जारी टकराव को लेकर जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शनिवार को गहरी चिंता जताई और दोनों देशों से शांति की अपील की। गदरबल में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि मध्य पूर्व में भड़क रही यह जंग सिर्फ दो देशों तक सीमित नहीं रहेगी, इसका असर दुनिया भर में पड़ेगा और भारत भी इससे अछूता नहीं रहेगा।

उन्होंने कहा, “आज जो स्थिति बनी है, उसमें हम केवल प्रार्थना कर सकते हैं कि मामला और न बढ़े। हम उम्मीद करते हैं कि दोनों देश वार्ता का रास्ता अपनाएं। अगर यह युद्ध और फैला, तो इसका सीधा असर हमारी अर्थव्यवस्था, तेल की कीमतों और विदेशों में रह रहे भारतीय नागरिकों पर पड़ेगा।”

मुख्यमंत्री ने यह भी सवाल उठाया कि जब रूस-यूक्रेन युद्ध पर पश्चिमी देश खुलकर बयान देते हैं, तब ईरान पर हो रहे हमलों को लेकर वही देश चुप क्यों हैं। “क्या अंतरराष्ट्रीय समुदाय की संवेदनशीलता सिर्फ यूरोप तक सीमित है? क्या पश्चिम एशिया में होने वाली मौतें उन्हें दिखाई नहीं देतीं?” उन्होंने यह सवाल पूछते हुए पश्चिमी देशों की ‘मौन सहमति’ पर नाराज़गी जाहिर की।

एक और अहम मुद्दे पर बोलते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा कि ईरान में सैकड़ों भारतीय छात्र, खासकर कश्मीर से गए युवा, मेडिकल और अन्य पढ़ाई के लिए फंसे हुए हैं। उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) तत्काल हरकत में आए और छात्रों को सुरक्षित निकालने की योजना बनाए।

उन्होंने कहा, “कई कश्मीरी परिवारों ने मुझे व्यक्तिगत रूप से संपर्क किया है। उनके बच्चे ईरान में हैं, न तो सुरक्षित हैं और न ही संपर्क में। माता-पिता की चिंता जायज है। सरकार को इन युवाओं की सुरक्षा की गारंटी देनी चाहिए।”

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार भी इस मुद्दे पर केंद्र से पूरी तरह संपर्क में है और वह छात्रों के परिवारों को हरसंभव सहायता देने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि अगर ज़रूरत पड़ी, तो जम्मू-कश्मीर प्रशासन विशेष राहत योजना के तहत इन छात्रों को सुरक्षित वापसी दिलाने के लिए केंद्र के साथ समन्वय करेगा।

इस तरह उमर अब्दुल्ला का यह बयान एक स्पष्ट संदेश है कि ईरान-इज़राइल युद्ध को केवल क्षेत्रीय संघर्ष के रूप में नहीं देखा जा सकता। इसके दूरगामी प्रभाव भारत सहित पूरी दुनिया पर हो सकते हैं—राजनीतिक, कूटनीतिक और मानवीय स्तर पर। उन्होंने न केवल युद्ध विराम की अपील की, बल्कि भारतीय नागरिकों, विशेष रूप से छात्रों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दिए जाने की माँग भी रखी है।

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