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ईरान के परमाणु वैज्ञानिकों का खात्मा

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तेहरान: इज़राइल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को कमजोर करने के लिए एक गुप्त और आक्रामक मिशन ‘ऑपरेशन नार्निया’ चलाया। इस मिशन के तहत 13 जून 2025 को ईरान के पांच प्रमुख परमाणु ठिकानों – नतांज़, इस्फहान, अराक, करज और तेहरान – पर एक साथ हमले किए गए।

इन हमलों में ईरान के 9 शीर्ष परमाणु वैज्ञानिकों की हत्या कर दी गई। मारे गए वैज्ञानिकों में प्रोफेसर अहमदरेज़ा ज़ोल्फ़ाघारी दार्यानी, अब्दुलहमिद मिनूचेहर, मोहम्मद मेहदी तेहरांची और फरेयदून अब्बासी जैसे वरिष्ठ नाम शामिल हैं। इसके अलावा, ईरान की सुरक्षा एजेंसी आईआरजीसी के कमांडर सईद इजादी को भी निशाना बनाकर मार गिराया गया।

मोसाद ने ऑपरेशन से पहले एक हिट लिस्ट तैयार की थी। उसी के मुताबिक वैज्ञानिकों को अलग-अलग स्थानों पर टारगेट किया गया। हमलों के लिए 60 से अधिक फाइटर जेट्स और 100 से ज्यादा गाइडेड बमों का इस्तेमाल किया गया।

ईरान ने इन हमलों के बाद इज़राइल पर मिसाइल और ड्रोन से पलटवार किया, जिसमें 24 इज़राइली नागरिकों की मौत हुई। ईरान ने दावा किया है कि इन हमलों में उसके 639 नागरिक और सैनिक मारे गए, जिनमें वैज्ञानिक और आईआरजीसी के अधिकारी शामिल हैं।

इस ऑपरेशन का मुख्य उद्देश्य ईरान के परमाणु हथियार निर्माण कार्यक्रम को रोकना था। हालांकि, फोर्डो जैसी गहरी भूमिगत परमाणु सुविधा अब भी सक्रिय है जिसे नष्ट करने के लिए बंकर बस्टर हथियारों की जरूरत होगी।

ईरान ने इन हमलों के बाद किसी भी तरह की शांति वार्ता को खारिज कर दिया है। उसका कहना है कि जब तक इज़राइल हमले बंद नहीं करता, तब तक कोई वार्ता संभव नहीं है। अमेरिका और यूरोपीय देशों ने दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की है।

ऑपरेशन नार्निया को इज़राइल की अब तक की सबसे संगठित और खतरनाक खुफिया कार्रवाई माना जा रहा है, जिसने ईरान के परमाणु कार्यक्रम की रीढ़ पर सीधा वार किया है।

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