
नई दिल्ली: भारत ने अपनी वायु रक्षा प्रणाली को इतना आधुनिक और बहुस्तरीय बना लिया है कि अब पाकिस्तान या किसी भी दुश्मन देश की मिसाइलें या ड्रोन भारतीय सीमा में घुसने से पहले ही नष्ट किए जा सकते हैं। यह रक्षा कवच आज इतना सशक्त बन चुका है कि इसे भारत का ‘आयरन डोम’ कहा जा सकता है।
🛡️ भारत की वायु रक्षा प्रणाली में शामिल प्रमुख हथियार:
🔹 S-400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस सिस्टम
- रूस से प्राप्त यह अत्याधुनिक मिसाइल प्रणाली दुनिया की सबसे शक्तिशाली मानी जाती है।
- यह प्रणाली एक साथ 36 लक्ष्यों को 400 किमी तक की दूरी पर ट्रैक कर सकती है और उन्हें नष्ट कर सकती है।
- यह क्रूज़ मिसाइल, बैलिस्टिक मिसाइल, फाइटर जेट और ड्रोन जैसे किसी भी हवाई खतरे को खत्म करने में सक्षम है।
🔹 आकाश और आकाश-NG मिसाइलें (स्वदेशी सिस्टम)
- ये दोनों भारत में DRDO द्वारा विकसित की गई हैं।
- आकाश मिसाइल की रेंज 30 किमी है, जबकि आकाश-NG (नई पीढ़ी) की रेंज 70-80 किमी तक है।
- ये मिसाइलें मल्टी-टारगेटिंग क्षमता के साथ काम करती हैं।
🔹 बराक-8 (इजरायल-भारत की साझेदारी)
- मध्यम दूरी की यह मिसाइल प्रणाली विशेष रूप से हवाई खतरों और मिसाइल हमलों से सुरक्षा के लिए तैयार की गई है।
- यह 90 किमी तक के लक्ष्य को निशाना बना सकती है।
- इसकी तैनाती भारतीय नौसेना और वायुसेना दोनों के लिए की गई है।
🔹 VSHORAD (Very Short Range Air Defence System)
- हाल ही में भारत ने स्वदेशी VSHORAD प्रणाली को सेना में शामिल किया है।
- यह प्रणाली पोर्टेबल है और छोटे हवाई लक्ष्यों जैसे ड्रोन व हेलिकॉप्टर को 6-7 किमी की दूरी से गिरा सकती है।
- इसे मैन-पोर्टेबल सिस्टम कहा जाता है और यह सोल्जर द्वारा कंधे पर रखकर दागी जा सकती है।
🔹 आकाशतेर (Akashteer) कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम
- यह एक नेटवर्क-केंद्रित प्रणाली है जो सेना और वायुसेना के रडार, सेंसर्स, हथियारों को एकीकृत करती है।
- यह रियल-टाइम में हवाई खतरों का पता लगाकर उन्हें प्राथमिकता के आधार पर नष्ट करने के लिए ऑटोमेटेड निर्णय लेती है।
🔹 LRSAM (Long Range Surface to Air Missile) – प्रस्तावित भविष्य प्रणाली
- भारत भविष्य में 400+ किमी की रेंज वाली लॉन्ग रेंज SAM प्रणाली तैयार कर रहा है जो S-400 से भी एडवांस होगी।
- इस प्रणाली में भारत की स्वदेशी रडार, मिसाइल और ट्रैकिंग सिस्टम का इस्तेमाल होगा।
📍 क्या है इसका रणनीतिक महत्त्व?
- पाकिस्तान अकसर PGM (Precision Guided Munitions), ड्रोन, और बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला करने की कोशिश करता है।
- लेकिन अब भारत की बहुस्तरीय वायु रक्षा प्रणाली देश की राजधानी दिल्ली से लेकर सीमाई क्षेत्रों तक एक सुरक्षा कवच की तरह फैली हुई है।
- ये प्रणालियाँ फर्स्ट लाइन ऑफ डिफेंस के रूप में काम करती हैं और दुश्मन की हर हरकत पर नजर रखती हैं।
🎯 निष्कर्ष:
भारत की वायु रक्षा प्रणाली अब केवल आयात पर निर्भर नहीं है। यह एक स्वदेशी, बहुस्तरीय और ऑटोमेटेड नेटवर्क में तब्दील हो चुकी है जो किसी भी हवाई खतरे को अंदर आने से पहले ही तबाह कर सकती है। भारत का यह “आयरन डोम” अब न केवल रक्षात्मक बल्कि रणनीतिक बढ़त देने वाला साबित हो रहा है।