
OTT प्लेटफॉर्म पर हाल ही में रिलीज़ हुई एक फिल्म ने दर्शकों को चौंका दिया है। इस फिल्म में न कोई परंपरागत हीरो है और न ही कोई खलनायक, फिर भी इसकी कहानी इतनी गहराई से गढ़ी गई है कि अंत आते-आते दर्शकों की रूह कांप उठती है।
फिल्म का क्लाइमेक्स बेहद भावनात्मक और अप्रत्याशित है। कहानी की सबसे बड़ी ताकत इसका यथार्थवादी दृष्टिकोण है—न कोई ग्लैमर, न ड्रामा—बस कड़वी सच्चाई। निर्देशक ने जिंदगी के उस पहलू को उजागर किया है जिसे आमतौर पर फिल्मों में नजरअंदाज कर दिया जाता है।
कई दर्शकों और समीक्षकों का कहना है कि यह फिल्म इंसान की भावनात्मक जटिलताओं को बहुत बारीकी से उकेरती है। इसमें कोई बड़ा सितारा नहीं, लेकिन हर किरदार अपनी मौजूदगी का एहसास छोड़ जाता है।
सस्पेंस और संवेदनाओं से भरी इस फिल्म को देखकर दर्शक न सिर्फ सोचने पर मजबूर होते हैं, बल्कि फिल्म खत्म होने के बाद भी उसकी गूंज लंबे समय तक मन में बनी रहती है।