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पाकिस्तान का एशिया कप बहिष्कार विवाद

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पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) और उसके अध्यक्ष मोहसिन नकवी इस समय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवादों के घेरे में आ गए हैं। दरअसल, भारत के खिलाफ मिली हार के बाद पाकिस्तान ने एशिया कप में नियुक्त मैच रेफरी एंडी पाइक्रॉफ्ट को हटाने की मांग रख दी और यहां तक कह दिया कि अगर उनकी बात नहीं मानी गई तो पाकिस्तान टूर्नामेंट का बहिष्कार कर देगा। इस बयान के बाद क्रिकेट जगत में खलबली मच गई और एक बार फिर पाकिस्तान की खेल कूटनीति पर सवाल खड़े हो गए हैं।

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने पाकिस्तान की इस मांग को तुरंत खारिज कर दिया। ICC का कहना है कि किसी टीम के दबाव में आकर रेफरी को बदला नहीं जा सकता, क्योंकि यह खेल की निष्पक्षता और नियमों के खिलाफ है। इससे पाकिस्तान के लिए स्थिति और कठिन हो गई है। अगर वह बहिष्कार करता है तो आर्थिक नुकसान, अंतरराष्ट्रीय छवि को ठेस और भविष्य में प्रतिबंध जैसी आशंकाएं सामने आ सकती हैं। वहीं, अगर वह खेल जारी रखता है तो पहले दी गई धमकी और बयानबाजी पर उसकी साख पर सवाल उठेंगे।

मोहसिन नकवी की रणनीति को लेकर पाकिस्तान के अंदर भी असहमति देखने को मिल रही है। क्रिकेट विशेषज्ञों का कहना है कि हार की जिम्मेदारी खिलाड़ियों और टीम प्रबंधन की रणनीति पर है, लेकिन इसे बहिष्कार और रेफरी विवाद में बदल देना केवल पाकिस्तान को कमजोर स्थिति में ले जा रहा है। बुधवार को होने वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस का अचानक रद्द होना भी इस बात की गवाही देता है कि PCB फिलहाल असमंजस की स्थिति में है और अपने अगले कदम को लेकर पूरी तरह तैयार नहीं है।

इस पूरे विवाद का असर सीधे तौर पर खिलाड़ियों के मनोबल पर भी पड़ रहा है। टीम पहले से ही दबाव में है और ऐसे समय में प्रशासनिक स्तर पर लिए गए विवादित फैसले खिलाड़ियों के प्रदर्शन को और प्रभावित कर सकते हैं। इसके अलावा, प्रायोजक कंपनियां और प्रसारण संस्थान भी असमंजस में हैं, क्योंकि बहिष्कार की स्थिति में उन्हें भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है।

क्रिकेट जानकारों का मानना है कि अगर पाकिस्तान टूर्नामेंट से बाहर होता है तो उसका असर केवल मौजूदा एशिया कप तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि आने वाले टूर्नामेंटों में भी उसकी भागीदारी और विश्वसनीयता पर गहरा असर पड़ेगा। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की छवि एक ऐसी टीम के रूप में बनेगी जो हार को स्वीकार करने के बजाय नियम बदलवाने का दबाव डालती है।

कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि मोहसिन नकवी का यह कदम पाकिस्तान क्रिकेट के लिए ‘उल्टा वार’ साबित हो सकता है। बहिष्कार और खेल जारी रखने – दोनों ही रास्तों में उसे चुनौतियों और आलोचनाओं का सामना करना तय है। अब देखना यह है कि PCB आने वाले दिनों में कौन-सा फैसला करता है और इस संकट से निकलने के लिए किस तरह की रणनीति अपनाता है।

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