
पाकिस्तान में गुरुवार, 21 अगस्त 2025 को योजना मंत्री अहसान इकबाल द्वारा देश की पहली आर्थिक जनगणना रिपोर्ट जारी की गई, जिसमें चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में लगभग 6.04 लाख मस्जिदें और 36,331 मदरसे हैं, जबकि औद्योगिक क्षेत्र बहुत कमजोर है—देश में सिर्फ 23,000 कारखाने ही दर्ज किए गए हैं।
रिपोर्ट से यह स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था छोटे व्यवसायों पर निर्भर है—छोटी उत्पादन इकाइयों की संख्या 6.43 लाख है, लेकिन इनमें से केवल 7,086 ऐसी इकाइयाँ हैं जहाँ 250 से अधिक लोग काम करते हैं, जो दर्शाता है कि औद्योगिक बड़े पैमाने का निर्माण बहुत सीमित है।
शिक्षा के क्षेत्र में हालात और चिंताजनक हैं—देश में केवल 214 विश्वविद्यालय हैं, इसके अलावा 11,568 कॉलेज और 2.42 लाख स्कूल हैं। यह आंकड़ा उच्च शिक्षा के क्षेत्र में पाकिस्तान की पिछड़ी स्थिति को उजागर करता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, लगभग 4 करोड़ स्थायी प्रतिष्ठान हैं, लेकिन इनमें से महज 72 लाख ही रोजगार प्रदान करते हैं, जिसमें कुल 2.54 करोड़ लोग कार्यरत हैं। इनमें से 45% लोग सेवा क्षेत्र से जुड़े हैं, जबकि सामाजिक क्षेत्र और उत्पादन क्षेत्र में क्रमशः 30% और 22% हिस्सेदारी है।
इसके अलावा, खुदरा और थोक व्यापार, आतिथ्य, और स्वास्थ्य सुविधाओं की संख्या भी गिनाई गई—27 लाख खुदरा दुकानें, 1.88 लाख थोक दुकानें, 2.56 लाख होटल और लगभग 1.2 लाख अस्पताल हैं, जिनमें पंजाब क्षेत्र का हिस्सा सबसे अधिक—58%—है, जबकि सिंध में 20% और बलूचिस्तान में सिर्फ 6% प्रतिष्ठान हैं।
यह रिपोर्ट पाकिस्तान की आर्थिक और सामाजिक संरचना को दर्शाती है—उद्योग में कमी, सेवा क्षेत्र का प्रभुत्व, और शिक्षा तथा औद्योगिकीकरण में भारी अंतर। इन आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि आर्थिक नीति, निवेश और संरचनात्मक सुधार के बिना पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था विकास में पिछड़ सकती है।