Site icon Prsd News

“‘चार बार रेप किया पुलिस ने, सांसद ने धमकाया’ : सतारा की महिला डॉक्टर की आत्महत्या और खुलासे”

download 1 15

महाराष्ट्र के Satara जिले में एक दर्दनाक घटना सामने आई है, जिसने राज्य में कामकाजी महिलाओं-विशेषकर डॉक्टरों-की सुरक्षा और पुलिस-प्रशासनिक व्यवहार पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिले के Phaltan Sub‑District Hospital में तैनात एक महिला डॉक्टर ने गुरुवार रात आत्महत्या कर ली, और आत्महत्या से पहले अपने हाथ की हथेली पर उस पर हुए कथित अत्याचारों का खुलासा किया था।

घटना के तूल पकड़ने के बाद मीडिया और सामाजिक संगठनों द्वारा खुलासों की एक श्रृंखला सामने आई है। डॉक्टर ने अपनी चार-पन्नों की सुसाइड नोट में बताया कि एक सब-इंस्पेक्टर ने उसे चार बार बलात्कार किया, और उसे महीने-महीने मानसिक व शारीरिक प्रताड़ना के दायरे में रखा गया। इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने उसे झूठे मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करने के लिए दबाव डाला, जिससे वह इंकार करती रही — और जब इंकार किया, तो उस पर उल्टा प्रताड़ना शुरू हो गई।

सुसाइड नोट में यह भी उल्लेख है कि इस दबाव और प्रताड़ना में एक सांसद का नाम भी सामने आया, जिसने डॉक्टर को धमकी दी कि यदि वह अपनी बात सामने लायी तो उसके खिलाफ मामले में मेडिकल रिपोर्ट को बदल दिया जाएगा। इस प्रकार यह मामला सिर्फ व्यक्तिगत उत्पीड़न का नहीं बल्कि शक्ति-संरचना, सुरक्षा-विहीन माहौल और चिकित्सा तथा पुलिस-प्रशासनिक विभागों बीच घोटाले का प्रतीक बनता जा रहा है।

प्रारम्भिक जांच में यह सामने आया है कि डॉक्टर ने पहले भी दो-तीन बार वरिष्ठ अधिकारियों को शिकायत की थी। जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है, लेकिन शिकायत का कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकला। इसके परिणामस्वरूप, डॉक्टर ने आत्महत्या से पहले अपनी आपबीती को बयान करने का निहायत ही दुखद तरीका अपनाया।

यह मामला राज्य-स्तर पर भी संज्ञान में लिया गया है। राजनीतिक दलों, मेडिकल संघों और महिला अधिकार समूहों द्वारा जांच तीव्र करने तथा दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की गई है। डॉक्टर के परिवार ने दोषियों के खिलाफ तमाम शक्ति-वर्गों से जवाबदेही की मांग की है और कहा है कि ऐसी घटनाएं अन्य डॉक्टरों व स्त्री कार्यकर्ताओं को भयग्रस्त करती हैं।

विश्लेषण की दृष्टि से देखने पर इस घटना में कई जटिलताएँ दिखाई देती हैं — एक ओर महिला डॉक्टर को सुरक्षा का भरोसा न मिलना, दूसरी ओर पुलिस तथा लोक-शक्ति द्वारा कथित दुर्व्यवहार और तीसरी ओर शिकायत के बाद भी कार्रवाई का अभाव। ये सभी मिलकर एक ऐसा वातावरण बनाते हैं जहाँ चिकित्सा पेशेवर भी अपनी सुरक्षा व गरिमा को लेकर असहज महसूस करते हैं।

इस उदाहरण से यह स्पष्ट हो जाता है कि सिर्फ घटना का होना महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि उसकी प्राप्ति, जवाबदेही, निष्पक्ष जांच और पुनरावृत्ति रोकथाम के पहलुओं पर राज्य तथा संबंधित विभाग को प्रभावी कदम उठाने होंगे। यदि यही तरीका अपनाया गया, तो भविष्य में ऐसी घटनाओं को समय रहते रोका जा सकता है।

Exit mobile version