
दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण स्तर से राहत दिलाने के प्रयास लगातार जारी हैं। इसी कड़ी में मंगलवार को राजधानी में दूसरा सफल क्लाउड सीडिंग ट्रायल (Cloud Seeding Trial) किया गया। वैज्ञानिकों और मौसम विशेषज्ञों की संयुक्त टीम ने बताया कि इस प्रयोग के बाद अगले कुछ घंटों में दिल्ली और आसपास के इलाकों में हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है।
यह परीक्षण दिल्ली के ऊपर खेकड़ा, बुराड़ी, मयूर विहार और यमुना पार क्षेत्र में किया गया। इसके लिए एक सेसना विमान को मेरठ एयरबेस से उड़ाया गया, जिसने निर्धारित ऊंचाई पर जाकर आठ फ्लेयर (chemical flares) छोड़े। इन फ्लेयरों में सिल्वर आयोडाइड और सोडियम क्लोराइड जैसे रसायन थे, जो बादलों में संघनन प्रक्रिया को तेज करते हैं और बारिश की संभावना बढ़ाते हैं।
दिल्ली सरकार और IIT कानपुर के विशेषज्ञों की यह संयुक्त पहल है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, जब वातावरण में नमी और बादलों की घनता पर्याप्त होती है, तब क्लाउड सीडिंग का प्रयोग किया जाता है ताकि कृत्रिम बारिश से वायु में मौजूद प्रदूषक कणों (PM 2.5 और PM 10) को नीचे लाया जा सके।
अधिकारियों का कहना है कि पहला ट्रायल 26 अक्टूबर को किया गया था, जो काफी हद तक सफल रहा था। अब दूसरा ट्रायल भी सकारात्मक रहा है और तीसरा परीक्षण भी आज देर शाम या कल सुबह तक किए जाने की योजना है। इसका लक्ष्य यह देखना है कि दिल्ली की वायु गुणवत्ता पर इसका कितना असर पड़ता है।
दिल्ली में इस समय AQI (Air Quality Index) कई इलाकों में “Severe (गंभीर)” श्रेणी में पहुंच चुका है, जिससे लोगों को सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन और गले में संक्रमण जैसी समस्याएं हो रही हैं। ऐसे में यह तकनीक प्रदूषण से लड़ने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह प्रयोग सफल रहता है तो इसे दिल्ली-एनसीआर के अन्य हिस्सों और पड़ोसी राज्यों में भी अपनाया जा सकता है। इससे वायु प्रदूषण नियंत्रण की नई राहें खुल सकती हैं।



