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रूस-यूक्रेन युद्ध: ट्रम्प से फोन कॉल के बाद पुतिन-ज़ेलेंस्की बैठक की उम्मीद, शांति वार्ता पर बढ़ी हलचल

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रूस और यूक्रेन के बीच पिछले ढाई साल से जारी युद्ध के बीच अब शांति वार्ता की संभावनाएं एक बार फिर तेज हो गई हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हाल ही में हुई फोन वार्ता ने इस दिशा में नया मोड़ दिया है। सूत्रों के मुताबिक, पुतिन ने इस बातचीत के दौरान यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की से आमने-सामने मुलाकात का प्रस्ताव रखा है।

यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब ट्रम्प खुद भी यूक्रेन युद्ध को जल्द समाप्त करने के पक्ष में दिखाई दे रहे हैं। कुछ दिनों पहले ट्रम्प और ज़ेलेंस्की की एक बैठक भी हुई थी, जिसमें दोनों के बीच युद्धविराम की संभावनाओं पर चर्चा हुई थी। इसके बाद पुतिन की ओर से यह संकेत मिलना कि वे सीधे ज़ेलेंस्की से मिलने को तैयार हैं, कूटनीतिक रूप से अहम माना जा रहा है।

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भी इस संभावित मुलाकात पर बयान दिया है। उन्होंने कहा कि शांति वार्ता को जल्दबाजी में नहीं किया जाना चाहिए बल्कि चरणबद्ध तरीके से विशेषज्ञों और अधिकारियों की सलाह के बाद ही शिखर बैठक आयोजित होनी चाहिए। लावरोव ने यह भी स्पष्ट किया कि पुतिन संघर्ष के मूल कारणों और रूस की सुरक्षा चिंताओं को दरकिनार करके कोई समझौता नहीं करेंगे।

कीव की ओर से भी सकारात्मक संकेत मिले हैं। ज़ेलेंस्की ने कहा है कि यदि बैठक को लेकर सहमति बनती है तो आने वाले 7 से 10 दिनों में इसकी रूपरेखा सामने आ सकती है। ज़ेलेंस्की पहले भी कई बार अंतरराष्ट्रीय समर्थन के साथ सीधी बातचीत के पक्षधर रहे हैं, लेकिन वे यह भी स्पष्ट कर चुके हैं कि किसी भी समझौते में यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता से समझौता नहीं किया जाएगा।

अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भी इस संभावित पहल का स्वागत किया है और इसे “एक बड़ी उपलब्धि की दिशा में कदम” बताया है। व्हाइट हाउस ने इस प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार करना शुरू कर दिया है और इस बीच कई विकल्पों पर काम चल रहा है।

हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि शांति वार्ता की राह इतनी आसान नहीं होगी। एक तरफ रूस युद्धविराम से पहले अपनी शर्तों को सामने रख रहा है, वहीं दूसरी ओर यूक्रेन अपने कब्जे वाले क्षेत्रों को वापस लेने की बात कर रहा है। इसके बावजूद, पुतिन और ज़ेलेंस्की के बीच सीधी बातचीत की संभावना युद्ध के शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में एक सकारात्मक संकेत मानी जा रही है।

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