
बिहार विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक दलों के बीच धार्मिक प्रतीकों को लेकर होड़ तेज हो गई है। इसी कड़ी में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता तेजस्वी यादव ने मंगलवार को सीतामढ़ी के प्रसिद्ध जानकी मंदिर (पुनौरा धाम) में पूजा-अर्चना की। दोनों नेता ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के दौरान यहां पहुंचे, जिसे राजनीतिक विश्लेषक बीजेपी की हिंदुत्व रणनीति के जवाब के रूप में देख रहे हैं।
राजनीति में मंदिर की एंट्री
सीतामढ़ी का पुनौरा धाम—जिसे माता सीता की जन्मस्थली माना जाता है—पिछले कुछ वर्षों में धीरे-धीरे एक राजनीतिक केंद्र बनता जा रहा है। हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यहां जानकी मंदिर के पुनर्विकास परियोजना की नींव रखी थी। इसे लेकर बीजेपी ने इसे ‘राम मंदिर मॉडल’ की तर्ज पर विकसित करने की घोषणा की थी।
विपक्ष की रणनीति
राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की मंदिर यात्रा को विपक्ष की ओर से धार्मिक आधार पर संतुलन साधने की कोशिश माना जा रहा है। मंदिर में दर्शन करने के बाद दोनों नेताओं ने जनता को संबोधित करते हुए सामाजिक न्याय और संविधानिक अधिकारों की बात की, लेकिन साथ ही धार्मिक आस्था का सम्मान भी जताया।
राजनीतिक संदेश स्पष्ट
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बिहार में हिंदू वोट बैंक को साधने के लिए अब सिर्फ बीजेपी ही नहीं, बल्कि विपक्ष भी धार्मिक स्थलों का रुख कर रहा है। वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक कन्हैया भेलारी ने कहा, “अब राजनीति में धार्मिक स्थलों की भूमिका केवल आस्था तक सीमित नहीं रही। वोट के लिए मंदिर जाना एक जरूरी रणनीति बन चुकी है।”
स्थानीय जनता की प्रतिक्रिया
जानकी मंदिर में राहुल-तेजस्वी की मौजूदगी को लेकर स्थानीय लोगों में मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली। कुछ ने इसे एक स्वागत योग्य कदम बताया, जबकि कुछ ने इसे चुनावी स्टंट कहा।
पुनौरा धाम क्यों खास है?
माना जाता है कि यही माता सीता का जन्मस्थान है।
हर साल लाखों श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं।
हाल ही में सरकार ने इसे एक प्रमुख धार्मिक-पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना शुरू की है।



