
पाकिस्तानी ‘फाल्कन’ लड़ाकू विमानों में AIM-120C-8 मिसाइलों की तैनाती भारत के लिए चुनौती
हालिया रक्षा-सूत्रों से यह खबर सामने आई है कि पाकिस्तान अब अपने F-16 “Falcon” लड़ाकू विमानों को AIM-120C-8 मिसाइलों से लैस करने की योजना बना रहा है, जिससे भारत-पाकिस्तान के वायुधर युद्ध की गतिशीलता बदल सकती है। (Eurasian Times सहित अन्य रक्षा विश्लेषणों में यह जानकारी प्रस्तुत की गई है)
AIM-120C-8, जिसे AMRAAM (Advanced Medium-Range Air-to-Air Missile) परिवार की एक उन्नत किस्त माना जाता है, लगभग 160 किमी तक की दूरी को पार कर लक्ष्य पर हमला कर सकती है। इसकी विशेषता है active radar seeker, mid-course data link, और fire-and-forget क्षमता — यानी इसे एक बार लॉन्च कर देने के बाद मिसाइल स्वयं लक्ष्य को ट्रैक कर सकती है, बिना लॉन्च विमान की सहायता की जरूरत के।
पाकिस्तान की योजना इस मिसाइल को F-16 विमानों पर स्थापित करने की है, जिससे वे भारतीय विमानों को “beyond visual range” (दृश्यमान दूरी से परे) मार सकते हैं। इस कदम से PAF (Pakistan Air Force) को अधिक रणनीतिक दायरा मिलेगा और यह उन्हें हवा में पहले हमले की क्षमता देगा।
लेकिन इस खबर के सामने आने के साथ ही भारत के पास भी मजबूत हथियार हैं — विशेष रूप से ब्रहमोस नामक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल। ब्रह्मोस (BrahMos) को भारत और रूस की संयुक्त परियोजना माना जाता है, और यह ऊँची गति, कम ऊंचाई उड़ान और सटीक निशानेबाजी की विशेषताओं के कारण जाना जाता है।
ब्रहमोस की ताकत यह है कि इसे जमीन, समुद्र और वायु से लॉन्च किया जा सकता है, और इसकी उड़ान मार्ग अक्सर लो-फ्लाइंग (कम ऊँचाई) होती है, जिससे रडार और हवाई रक्षा प्रणालियों के लिए इसे पकड़ना कठिन हो जाता है।
इस परिस्थिति में, यदि पाकिस्तान अपनी AIM-120C-8 मिसाइलों से लैस F-16 विमानों को तैनात कर दे, तो संघर्ष की स्थिति में ये मिसाइल भारतीय विमानों को पहले निशाना बना सकती हैं। भारत को इस चुनौती का सामना करने के लिए अपनी वायु रक्षा प्रणालियों को और अधिक मजबूत करना होगा — विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक युद्ध उपकरण (ECM), रडार जामिंग, और AWACS / एयरबोर्न चेतावनी प्रणालियाँ।
इसके अलावा, भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि ब्रह्मोस मिसाइल प्रणालियाँ समय पर और सुरक्षित तरीके से तैनात हों ताकि वे वायुसेना और नौसेना को समर्थन दे सकें। मिसाइलों की आपूर्ति, तैयारी, संधारण और नियंत्रण तंत्रों की दक्षता इस तरह की रणनीतिक चुनौतियों में निर्णायक भूमिका निभाएगी।
इस तरह की मिसाइल बढ़ोतरी न केवल तकनीकी दांवपेंच बढ़ाती है, बल्कि रणनीतिक संतुलन (strategic balance) को भी प्रभावित करती है। यदि पाकिस्तान इस योजना को अमल में लाता है, तो भारत को भी अपनी रक्षा और रणनीति को और तेज़ी से समायोजित करना होगा।