
📍 नई दिल्ली | 5 मई 2025
भारत के ऐतिहासिक धरोहर, लाल किला, को लेकर एक विवादास्पद याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है। मुग़ल सम्राट बहादुर शाह जफ़र द्वितीय की परपोती विधवा सुल्ताना बेगम ने लाल किले पर कब्जे की मांग करते हुए याचिका दायर की थी। उनका दावा था कि वह किले की कानूनी उत्तराधिकारी हैं और यह उनके परिवार की संपत्ति है।
इस याचिका पर सुनवाई करते हुए, मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने इसे ‘हास्यास्पद’ करार दिया और कहा कि यह याचिका “कानूनी दृष्टिकोण से निरर्थक” है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि स्वतंत्रता संग्राम के बाद, भारत सरकार ने किले को अपने अधीन लिया है और यह अब राष्ट्रीय धरोहर है, जिसका कोई व्यक्तिगत मालिकाना हक नहीं हो सकता।
सुल्ताना बेगम ने अपनी याचिका में दावा किया था कि उनके पूर्वजों ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष किया था और किले की संपत्ति उनके परिवार की है। हालांकि, कोर्ट ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि यह ऐतिहासिक तथ्यों और कानूनी सिद्धांतों के विपरीत है।
यह फैसला भारत के ऐतिहासिक स्मारकों के संरक्षण और राष्ट्रीय धरोहरों पर व्यक्तिगत दावों के खिलाफ एक मजबूत संदेश देता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस तरह की याचिकाएं सामाजिक सद्भावना और राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक हो सकती हैं।