
बिहार फैसले के बाद Rashtriya Janata Dal-Indian National Congress महागठबंधन में दरार गहरी
राजनीतिक गलियारों में एक बार फिर से Mahagathbandhan (Grand Alliance) की मजबूती पर सवाल खड़े हो गए हैं। 2025 के बिहार विधानसभा चुनावों में मिली करारी हार के बाद गठबंधन के दो प्रमुख घटक — RJD और Congress — के बीच आपसी असंतोष और आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गए हैं।
कांग्रेस ने चुनाव नतीजों की समीक्षा बैठक में “एकला चलो” (solo run) की नीति अपनाने पर जोर दिया, इस बात को स्वीकारते हुए कि संगठनात्मक कमजोरी व दोस्ताना संघर्ष (friendly contest) हार की वजह बने।
लेकिन RJD की ओर से यह बयान सामने आया है कि जो भी सीटें या वोट कांग्रेस को मिले हैं — वे “हमारे कारण” मिले, यानी RJD की वजह से। इससे स्पष्ट हुआ कि हार के बाद कांग्रेस की आत्मचिंतन-मंथन और RJD की नाराज़गी, दोनों एक अभियान की शुरुआत हैं।
बिहार नतीजों ने क्यों बढ़ाई दूरी?
चुनाव परिणामों से पता चला कि Mahagathbandhan उम्मीदों के अनुरूप परिणाम नहीं दे पाया — गठबंधन ने कुल 35 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि प्रमुख दलों में से RJD और Congress के प्रदर्शन बेहद कमजोर रहे।
कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि पार्टी संगठनात्मक कमजोरी, रणनीति-भूल और मित्र दलों के साथ सीट-बंटवारे की समस्या के कारण पिछड़ गई।
RJD के लिए भी यह परिणाम संतोषजनक नहीं — और अब वह खुले तौर पर कह रही है कि कांग्रेस का योगदान न के बराबर रहा, इसलिए उनके साथ गठबंधन बनाए रखने का फायदा नहीं हो रहा।
RJD का तंज — Congress पर खुला हमला
RJD प्रदेश अध्यक्ष ने साफ कहा है कि कांग्रेस जिस तरह “एकला चलो” की राह चुनना चाहती है, वह गठबंधन की आत्मा के खिलाफ है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस Mahagathbandhan को केवल बहाना बनाकर अपने अस्तित्व की दुहाई दे रही है।
उनका कहना है कि बिहार में जो भी वोट और सीटें मिली थीं — वो RJD के सामाजिक आधार, काम और संगठनात्मक मेहनत का नतीजा थी; अगर कांग्रेस इस पर भरोसा करती है कि वो अकेले बेहतर कर पाएगी, तो जरूरत नहीं कि गठबंधन कायम रहे।
यह टिप्पणी महागठबंधन के भविष्य पर सवाल खड़े करती है — खासकर उस गठबंधन के लिए जो पिछले कई चुनावों में संयुक्त रूप से लड़ रहा था।
महागठबंधन के लिए क्या है अर्थ — चुनौतियाँ और संभावित टूट
हार के बाद Congress की “स्वतंत्र समीक्षा” और “स्वतंत्र रणनीति” की ओर झुकाव, गठबंधन के एकीकरण (integration) को कमजोर कर रहा है।
RJD की नाराज़गी और यह स्पष्ट घोषणाएं कि वोट RJD ने दिलाए — चुनौती दे रही हैं गठबंधन के अस्तित्व व विश्वास को।
आगामी चुनाव, विधायी सत्र या राज्य-स्तरीय राजनीतिक समीकरण में, Mahagathbandhan की जगह नए समीकरण जन्म ले सकते हैं — यानि भेदभाव, सीटों का बाँट-फिर, घनिष्ठ सहयोग की कमी।



