
ट्रंप–पुतिन की दुश्मनी की कीमत चुकाएगी रूस की ऑयल कंपनी Lukoil
अमेरिका और रूस के बीच बढ़ते तनाव और नए अमेरिकी प्रतिबंधों का असर अब रूस की बड़ी तेल कंपनियों पर साफ दिखाई देने लगा है। रूस की निजी ऑयल कंपनी Lukoil (लुकोइल) ने घोषणा की है कि वह अपने अंतरराष्ट्रीय तेल और गैस परिसंपत्तियों (assets) को बेचने की तैयारी कर रही है। कंपनी का कहना है कि यह फैसला अमेरिकी प्रतिबंधों (sanctions) और वैश्विक दबाव के कारण लिया गया है।
क्या है मामला
Lukoil रूस की सबसे बड़ी निजी तेल कंपनी है और इसका कारोबार इराक, यूरोप, और एशिया के कई देशों में फैला हुआ है। कंपनी के पास इराक में एक प्रमुख तेल क्षेत्र में 75% हिस्सेदारी है, जबकि यूरोप में इसके पास रिफाइनरी (refineries) और पेट्रोल पंप नेटवर्क (retail fuel network) भी हैं।
अमेरिकी प्रशासन द्वारा रूस पर लगाए गए नए वित्तीय और ऊर्जा क्षेत्र के प्रतिबंधों के कारण अब Lukoil को अपने अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट्स से बाहर निकलना पड़ रहा है। कंपनी ने कहा है कि वह अमेरिकी “OFAC Wind-Down License” के तहत अपनी परिसंपत्तियों की बिक्री पूरी करेगी। यह लाइसेंस अमेरिकी ट्रेजरी विभाग द्वारा दिया जाता है ताकि प्रतिबंधित कंपनियाँ कानूनी रूप से अपना व्यवसाय बंद या ट्रांसफर कर सकें।
कंपनी की रणनीति
Lukoil का कहना है कि वह अब अपने घरेलू (domestic) कारोबार पर अधिक ध्यान देगी और रूस के भीतर तेल उत्पादन बढ़ाने की दिशा में निवेश करेगी। अंतरराष्ट्रीय संपत्तियों की बिक्री से जुटाई गई रकम का उपयोग कंपनी अपने स्थानीय इंफ्रास्ट्रक्चर, रिफाइनरी विस्तार, और नई ऊर्जा परियोजनाओं (energy projects) में करेगी।
प्रतिबंधों का असर
विशेषज्ञों का मानना है कि इन अमेरिकी प्रतिबंधों से रूस की तेल और गैस आय (oil & gas revenue) पर गहरा असर पड़ेगा। पहले से ही युद्ध की स्थिति के कारण रूस की अर्थव्यवस्था पर दबाव है, और अब तेल कंपनियों के संपत्ति बेचने से विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आने की संभावना है।
दूसरी ओर, अमेरिका और यूरोपीय देशों को उम्मीद है कि इससे रूस की राजस्व क्षमता (revenue capacity) सीमित होगी और यूक्रेन युद्ध (Ukraine war) में उसे आर्थिक रूप से कमजोर किया जा सकेगा।



