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रूस-यूक्रेन युद्ध में शांति की नई पहल


2022 से जारी रूस-यूक्रेन युद्ध ने दुनिया की भू-राजनीतिक स्थिरता को झकझोर दिया है। अब एक बार फिर शांति की उम्मीद जगी है जब तुर्की ने इस्तांबुल में रूस-यूक्रेन के बीच वार्ता की मेज़बानी की पेशकश की है। लेकिन यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने इस प्रक्रिया को लेकर दो सख्त शर्तें रख दी हैं — वार्ता में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की अनिवार्य मौजूदगी और अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से दो प्रमुख अपेक्षाएं।


पुतिन के बिना वार्ता नहीं:

यूक्रेनी राष्ट्रपति ने स्पष्ट कर दिया है कि वे किसी भी “प्रॉक्सी” या निम्न स्तर के रूसी प्रतिनिधियों से वार्ता करने के पक्ष में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि जब तक स्वयं व्लादिमीर पुतिन वार्ता में शामिल नहीं होते, तब तक कोई ठोस समाधान संभव नहीं है। जेलेंस्की ने यह भी स्पष्ट किया कि वह दिखावटी वार्ताओं में समय बर्बाद नहीं करना चाहते।

डोनाल्ड ट्रंप को सख्त संदेश:

जेलेंस्की ने ट्रंप के उस प्रस्ताव पर भी टिप्पणी की जिसमें उन्होंने युद्ध समाप्त कराने में मध्यस्थ की भूमिका निभाने की बात कही थी। जेलेंस्की ने दो प्रमुख संदेश दिए:

  1. ट्रंप को चाहिए कि वे पुतिन पर दबाव बनाएं कि वह वार्ता में शामिल हों।
  2. किसी भी तरह की वार्ता में यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को प्राथमिकता दी जाए।

यह संदेश अप्रत्यक्ष रूप से ट्रंप की हाल की बयानबाज़ियों पर भी प्रतिक्रिया मानी जा रही है, जिसमें उन्होंने कहा था कि वे 24 घंटे में युद्ध समाप्त कर सकते हैं – लेकिन कैसे, यह स्पष्ट नहीं किया।

तुर्की की मध्यस्थता:

तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगान ने शांति वार्ता की पहल करते हुए इस्तांबुल को संभावित स्थल के रूप में प्रस्तावित किया है। तुर्की पहले भी रूस और यूक्रेन के बीच अनाज निर्यात समझौते जैसे मुद्दों में मध्यस्थता कर चुका है। जेलेंस्की ने तुर्की की भूमिका का स्वागत किया, पर यह भी दोहराया कि पुतिन की शिरकत के बिना कोई भी प्रयास व्यर्थ है।


📈 राजनैतिक और वैश्विक महत्व

  • यह शांति वार्ता केवल यूक्रेन और रूस के बीच का मामला नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की आर्थिक और सुरक्षा व्यवस्था पर असर डालती है।
  • ट्रंप की भूमिका को लेकर अमेरिका की आगामी चुनावी राजनीति भी इस वार्ता प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती है।
  • यदि पुतिन इस्तांबुल में वार्ता के लिए सहमत होते हैं, तो यह युद्ध के शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है।

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