
देश की आज़ादी के 100 वर्ष पूरे होने के लक्ष्य को सामने रखकर आयोजित India@2047 – एबीपी एंटरप्रेन्योरशिप कॉन्क्लेव में भारत के भविष्य की दिशा, आर्थिक आत्मनिर्भरता और उद्यमिता की भूमिका पर गहन मंथन हुआ। इस मंच पर केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया, चिराग पासवान और ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे प्रमुख नेताओं ने भाग लेकर देश के युवाओं, स्टार्टअप इकोसिस्टम और उद्योग जगत को लेकर सरकार के विज़न को सामने रखा। कार्यक्रम में इस बात पर विशेष जोर दिया गया कि आने वाले वर्षों में भारत को केवल उपभोक्ता नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर नवाचार और उत्पादन का बड़ा केंद्र बनना होगा।
केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया ने अपने संबोधन में कहा कि भारत की सबसे बड़ी ताकत उसका युवा वर्ग है और यही युवा आने वाले 25 वर्षों में देश की आर्थिक और तकनीकी तस्वीर बदलने की क्षमता रखता है। उन्होंने स्टार्टअप्स, स्किल डेवलपमेंट और स्थानीय नवाचार को बढ़ावा देने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि सरकार ऐसी नीतियां बना रही है, जिससे छोटे उद्यमियों और नए विचारों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आगे बढ़ने का अवसर मिल सके। उनके अनुसार, आत्मनिर्भर भारत का सपना तभी साकार होगा जब रोजगार मांगने वाले नहीं, बल्कि रोजगार देने वाले युवाओं की संख्या बढ़ेगी।
चिराग पासवान ने India@2047 के विज़न को सामाजिक समावेशन और समान अवसरों से जोड़ते हुए कहा कि देश की प्रगति तभी टिकाऊ होगी, जब विकास का लाभ समाज के हर वर्ग तक पहुंचे। उन्होंने उद्यमिता को केवल बड़े शहरों तक सीमित न रखते हुए ग्रामीण और पिछड़े इलाकों तक ले जाने की बात कही। चिराग पासवान का मानना है कि स्थानीय संसाधनों और पारंपरिक कौशल को आधुनिक तकनीक से जोड़कर भारत वैश्विक बाजार में अपनी अलग पहचान बना सकता है।
वहीं, ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भारत को भविष्य की वैश्विक अर्थव्यवस्था में अग्रणी बनाने के लिए कनेक्टिविटी, टेक्नोलॉजी और इनोवेशन को अहम बताया। उन्होंने कहा कि डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर, लॉजिस्टिक्स और संचार के क्षेत्र में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है, जिसका सीधा लाभ स्टार्टअप्स और नए उद्यमों को मिल रहा है। सिंधिया ने यह भी संकेत दिया कि आने वाले समय में नीति और तकनीक के तालमेल से भारत दुनिया के लिए एक मॉडल बन सकता है।
India@2047 कॉन्क्लेव में वक्ताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि आने वाले 25 साल भारत के लिए निर्णायक होंगे। उद्यमिता, नवाचार, युवाओं की भागीदारी और मजबूत नीतिगत समर्थन के जरिए भारत न केवल अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत कर सकता है, बल्कि वैश्विक मंच पर नेतृत्व की भूमिका भी निभा सकता है। यह कार्यक्रम इस सोच का प्रतीक बनकर सामने आया कि 2047 का भारत आत्मनिर्भर, समावेशी और नवाचार से भरपूर राष्ट्र होगा।



