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उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में 5 अगस्त 2025 को हुई भीषण तबाही — खासकर धराली गांव में — अब उपग्रह‑छवियों के माध्यम से सामने आई है, जो इस प्राकृतिक आपदा के गहरे रहस्यों को उजागर कर रही हैं।
मुख्य बिंदु:
- प्रारंभिक रिपोर्ट में इसे क्लाउड बर्स्ट बताया गया था, लेकिन IMD डेटा के अनुसार रातोंरात भारी बारिश नहीं हुई थी — केवल लगभग 27 मिमी बरसात दर्ज हुई थी, जो इस तबाही के लिए पर्याप्त नहीं मानी जाती।
- विशेषज्ञों का कहना है कि ग्लेशियल झीलों या ग्लेशियर फटने (GLOF) के कारण अचानक भारी जलप्रवाह आया हो सकता है। गिरते हुए हिमखंड, चट्टान या भारी भूस्खलन ने नदी को भारी टूट-फूट सहित प्रवाहित किया।
- दून विश्वविद्यालय के भूविज्ञान प्रो. डी.डी. चुनियाल ने बताया कि नदी का मार्ग पहले अलग था। विकास कार्यों और नई बस्तियों ने पुराने नदी मार्ग पर निर्माण किया, जिससे जब पुराना रास्ता पानी से भर गया, तो अनियोजन और अवरूद्ध क्षेत्र में तबाही आयी।
- ISRO से उपग्रह‑दृश्यों की मांग की गई है ताकि प्रभावित क्षेत्र की स्थिति स्पष्ट रूप से समझी जा सके। वास्तविक समय की तस्वीरें और डेटा तबाही का सटीक कारण बताने में मदद कर सकते हैं।
प्रभाव और राहत कार्य:
- इस आपदा में कम से कम 5 लोगों की मौत हुई और 50 से अधिक लोग लापता बताए जा रहे हैं, जिनमें सेना के 11 जवान शामिल हैं।
- राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF), राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF), तथा भारतीय सेना की “इबेक्स ब्रिगेड” जैसी टीमों को तुरंत राहत कार्य हेतु भेजा गया। घनी बर्फबारी और दूरी ने संचालन में बाधा डाली, लेकिन ड्रोन, ट्रैकर कुत्ते, हेलिकॉप्टर और भारी उपकरणों के माध्यम से बचाव कार्य जारी है।
- कई लोग सुरक्षित क्षेत्र में पहुँचाए जा चुके हैं; मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उपायों की समीक्षा की और तत्परतापूर्वक राहत प्रयासों का आश्वासन दिया।
- विशेषज्ञों ने हमारा जलवायु परिवर्तन को दोष देने की प्रवृत्ति को चुनौती दी है, और हिमालयी क्षेत्र के लिए एक व्यापक एवं समन्वित आपदा चेतावनी प्रणाली की स्थापना की आवश्यकता को बलपूर्वक बताया है।