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सावन के पहले सोमवार शिवमय हुआ गोंडा शहर, लाखों श्रद्धालुओं ने किया जलाभिषेक

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Gonda News: यूपी के गोंडा जिले सावन के पहले सोमवार को लेकर पृथ्वीनाथ, दुखहरण नाथ सहित प्रमुख शिव मंदिरों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। सुरक्षा की दृष्टि से मंदिर में सीसीटीवी कैमरे पहले ही लगवाए गए। जलाभिषेक करने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की दिक्कत सामना ना करना पड़े इसके लिए सुरक्षा व्यवस्था में महिला और पुरुष दोनों सुरक्षाकर्मी लगाए गए।
गोंडा जिले में मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर स्थित एशिया महाद्वीप का सबसे विराटतम शिवलिंग पृथ्वीनाथ मंदिर पर जलाभिषेक करने के लिए भोर से ही शिव भक्तों की कतारें लग गई। हाथों में जल भांग धतूरा बेलपत्र लिए शिवभक्त ओम नमः शिवाय का उच्चारण कर रहे थे। शिव भक्तों के उत्साह देखने लायक थे। वही सावन का सोमवार होने के नाते भगवान भोलेनाथ का रुद्राभिषेक भी लोग करा रहे थे। पृथ्वीनाथ मंदिर में भगवान शिव के साक्षात दर्शन होते हैं। पांडवों के अज्ञातवास के दौरान यहां भीम द्वारा स्थापित साढ़े 5 फुट ऊंचा एशिया महाद्वीप का सबसे विराटतम शिवलिंग है। प्राचीनतम समय में इस क्षेत्र में पांडव अपनी मां कुंती के साथ रहते थे। इस क्षेत्र के लोग ब्रह्म राक्षस से पीड़ित थे। भीम ने उसका वध कर दिया था। अभिशाप से मुक्ति पाने के लिए उन्होंने भगवान श्री कृष्ण के मार्गदर्शन के बाद भगवान शिव की उपासना के लिए इस विराटतम शिवलिंग की स्थापना किया था।
पुरातत्व विभाग की मानें तो एशिया महाद्वीप का सबसे बड़े शिवलिंग में से है। जिसकी जमीन के अंदर 64 फीट गहराई ,जबकि जमीन के ऊपर अरघे समेत साढ़े 5 फीट ऊंचा है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार खरगूपुर के राजा गुमान सिंह के अनुमति से यहां के पृथ्वी सिंह ने मकान निर्माण के लिए खुदाई शुरू की, उसी रात स्वप्न में पता चला कि जमीन के नीचे सात खंडों में शिवलिंग है। स्वप्न के अनुसार उन्होंने इस मंदिर का निर्माण कराया तभी से इस मंदिर का नाम पृथ्वीनाथ मंदिर पड़ा। लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र होने के साथ ही पृथ्वीनाथ मंदिर वास्तुकला का अद्भुत नमूना है। मंदिर के पुजारी जगदंबा प्रसाद तिवारी ने बताया कि वैसे यहां तो प्रतिदिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती है। यद्यपि श्रावणमास व हर तीसरे साल पड़ने वाले अधिमास मे यहां लाखों श्रद्धालु जलाभिषेक करते हैं। महाशिवरात्रि पर्व व कजलीतीज के अवसर पर यहां की बेकाबू भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन को करीब 5 से 6 किलोमीटर तक बैरिकेडिंग करनी पड़ती है।

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