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शशि थरूर बनेंगे भारत की आवाज

केंद्र सरकार ने एक रणनीतिक और राजनयिक अभियान की शुरुआत की है, जिसके तहत कांग्रेस सांसद डॉ. शशि थरूर को अमेरिका और ब्रिटेन भेजा जा रहा है ताकि वे अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को दी जा रही शह के मुद्दे को उजागर कर सकें।

यह निर्णय सिर्फ किसी राजनीतिक प्रतिनिधि को भेजने का नहीं, बल्कि एक सॉफ्ट पावर डिप्लोमेसी (Soft Power Diplomacy) का हिस्सा है, जहां भारत पाकिस्तान की दोहरी नीति को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उजागर करना चाहता है — एक ओर शांति की बात और दूसरी ओर आतंकवाद का समर्थन।


🎯 शशि थरूर का चयन क्यों हुआ?

  1. संयुक्त राष्ट्र में अनुभव:
    शशि थरूर संयुक्त राष्ट्र में लंबे समय तक काम कर चुके हैं। वे UN के महासचिव पद के लिए उम्मीदवार भी रह चुके हैं। उनका अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक नेटवर्क बहुत मजबूत है।
  2. विदेश नीति में महारत:
    थरूर विदेशी मामलों की संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष रह चुके हैं और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर गहरी समझ रखते हैं।
  3. ग्लोबल अपील:
    वे एक सम्मानित लेखक, वक्ता और वैश्विक बुद्धिजीवी माने जाते हैं। उनका भाषण शैली और तथ्यों के साथ बात रखने का तरीका पश्चिमी देशों में प्रभाव छोड़ सकता है।

🛡️ पृष्ठभूमि – पहलगाम आतंकी हमला:

अप्रैल 2025 में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में हुए आतंकी हमले में कई जवान शहीद हो गए। सुरक्षा एजेंसियों ने इस हमले का संबंध पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जोड़ा है।

भारत ने इस हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को घेरने की रणनीति बनाई है।


🌍 थरूर का मिशन: क्या करेंगे वो अमेरिका और यूके में?

  1. राजनीतिक नेताओं और सांसदों से मिलेंगे – वहाँ की सरकारों को पाकिस्तान की नीतियों के बारे में जानकारी देंगे।
  2. थिंक टैंक और यूनिवर्सिटीज में व्याख्यान देंगे – पब्लिक ओपिनियन तैयार करेंगे ताकि पश्चिमी मीडिया में चर्चा बने।
  3. डायस्पोरा (प्रवासी भारतीयों) को सक्रिय करेंगे – ताकि वे स्थानीय नेताओं पर दबाव बनाएं।
  4. पाकिस्तान की आतंक से जुड़ी रिपोर्ट्स और सबूत पेश करेंगे – जिसमें FATF (Financial Action Task Force) और UN के दस्तावेज़ शामिल हो सकते हैं।

🌐 भारत की व्यापक रणनीति:

  • भारत लंबे समय से पाकिस्तान के खिलाफ डिप्लोमैटिक आइसोलेशन (Diplomatic Isolation) की नीति पर काम कर रहा है।
  • यह पहल उस रणनीति का विस्तार है, जिसमें राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर एक अनुभवी नेता को जिम्मेदारी दी गई है।
  • इससे भारत यह संदेश देना चाहता है कि आतंकवाद के मुद्दे पर राजनीति नहीं, राष्ट्रहित सर्वोपरि है।

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