
भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव और हालिया सैन्य टकराव के बीच, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार को देश के ही प्रमुख पत्रकारों ने घेर लिया है। मामला है उस भारतीय मिसाइल हमले का, जो पाकिस्तान के बहावलपुर क्षेत्र में हुआ और जिसमें सैकड़ों लोगों की मौत होने की बात सामने आ रही है।
पाकिस्तानी पत्रकारों ने अब सवाल उठाना शुरू कर दिया है कि इस भीषण हमले की जिम्मेदारी कौन लेगा और सरकार ने अभी तक इसे लेकर पारदर्शिता क्यों नहीं दिखाई है।
🔍 पत्रकारों के तीखे सवाल
प्रसिद्ध पत्रकार अहमद नूरानी, असद तूर और कमर चीमा ने सोशल मीडिया और इंटरव्यू के माध्यम से तीखे सवाल उठाए हैं:
- क्या शहबाज शरीफ सरकार इस हमले में मारे गए नागरिकों की मौत की जिम्मेदारी लेगी?
- जब भारत की मिसाइल इतनी गहराई तक पाकिस्तान में घुस गई, तो पाकिस्तान की वायु और थल सुरक्षा प्रणाली क्या कर रही थी?
- क्या पाकिस्तान की सेना ने सरकार को पहले से जानकारी दी थी या यह हमला सरकार के लिए भी अचंभा था?
पाकिस्तानी पत्रकार अहमद नूरानी ने यूट्यूब पर भारत के मिसाइल हमले के बाद पाकिस्तान सरकार पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि बहावलपुर जैसे शहरों में भारी नुकसान हुआ है, और इसके सबूत मौजूद हैं। नूरानी ने सरकार की चुप्पी और जवाबदेही की कमी पर नाराज़गी जताई, और शहबाज शरीफ से स्थिति स्पष्ट करने की मांग की।
11 मई को पाकिस्तान में सरकार के कहने पर “शुक्रिया दिवस” मनाया गया, जिसमें जनता से सरकार की कथित जीत का जश्न मनाने को कहा गया। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने दावा किया कि चार दिन की इस जंग में पाकिस्तान ने रणनीतिक बढ़त हासिल की है। हालांकि, इस बीच पत्रकारों और जनता का एक वर्ग सरकार से हमले के नुकसान और पारदर्शिता पर जवाब मांग रहा है।
पाकिस्तानी पत्रकार असद तूर ने भी अपनी सरकार से तीखा सवाल पूछा है। उन्होंने कहा कि अगर भारत पारंपरिक युद्ध करता है, तो पाकिस्तान उसे रोक पाने में अक्षम साबित हो रहा है। उन्होंने सरकार से पारदर्शिता और वास्तविक स्थिति साझा करने की मांग की है, खासकर आम नागरिकों की सुरक्षा और सच्चाई को लेकर।
पाकिस्तान में मीडिया पर सेना की कड़ी सेंसरशिप लागू है। वहां पत्रकारों और यूट्यूबर्स को किसी भी तरह की आलोचनात्मक राय रखने पर धमकियों, हमलों और कानूनी कार्रवाइयों का सामना करना पड़ता है। इसके बावजूद कुछ साहसी पत्रकार जैसे अहमद नूरानी और असद तूर सरकार और सेना से सवाल पूछने की हिम्मत दिखा रहे हैं।