हिमाचल प्रदेश के शिमला स्थित संजाऊली क्षेत्र में विवादों में घिरी मस्जिद को अदालत ने पूरी तरह अवैध घोषित कर दिया है। Shimla Municipal Corporation के आयुक्त‑न्यायालय ने मस्जिद के सभी चार मंजिलों का ध्वस्तीकरण करने का आदेश जारी किया है। अदालत ने यह निर्णय इस आधार पर लिया कि मस्जिद निर्माण के लिए आवश्यक दस्तावेज़, जैसे कि निर्माण अनुमति, भवन नक्शा, जमीन का स्वामित्व प्रमाण, और नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) पेश नहीं किए गए।
स्थानीय निवासियों और संगठनों ने कई वर्षों से इस मस्जिद के निर्माण को अवैध ठहराने की मांग की थी। उनका आरोप था कि मस्जिद की कई मंजिलें बिना किसी अनुमति के बनाई गईं और संबंधित प्राधिकरणों से कोई स्वीकृति नहीं ली गई। अदालत ने पाया कि निर्माण के दौरान नियमों का पालन नहीं हुआ और इस कारण इसे पूरी तरह अवैध माना गया।
आदेश के बाद शिमला नगर निगम मस्जिद के ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया शुरू करेगा। मस्जिद समिति ने पहले अदालत में अपनी सफाई दी थी, लेकिन पर्याप्त दस्तावेज़ और अनुमति पेश नहीं कर सकी। उच्च न्यायालय ने भी मामले की तेजी से सुनवाई करने के निर्देश दिए थे, जिससे यह निर्णय संभव हो सका।
इस फैसले के बाद स्थानीय लोगों में मिश्रित प्रतिक्रिया देखने को मिली है। कुछ ने अदालत के निर्णय का स्वागत किया और इसे कानून और नियमों की जीत बताया, जबकि मस्जिद समिति और इसके समर्थक इससे नाराज दिखाई दिए हैं और उन्होंने कानूनी उपायों का सहारा लेने की बात कही है।
विशेषज्ञों के अनुसार यह मामला यह दर्शाता है कि निर्माण नियमों का उल्लंघन और अनुमति के बिना बनाईं गई इमारतें किसी भी समय कानूनी कार्रवाई का विषय बन सकती हैं। अब नगर निगम मस्जिद के अवैध हिस्सों के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई करेगा और यह पूरे इलाके के लिए एक precedent के रूप में काम करेगा।

