
उत्तर प्रदेश के Sambhal में हिंसा के मुख्य आरोपी Shariq Satha की संपत्ति पर कुर्की-नोटिस जारी
उत्तर प्रदेश के संभल जिले में पिछले साल 24 नवंबर को Shahi Jama Masjid के सर्वेक्षण के दौरान हुई हिंसा से जुड़े मामले में एक नया मोड़ आ गया है। इस हिंसा में चार लोगों की मौत हुई थी और दर्जनों लोग घायल हुए थे। अब पुलिस ने उस हिंसा से मुख्य आरोपी माने जा रहे शारीक साठा के खिलाफ उसकी संपत्ति पर नोटिस चस्पा किया है।
पुलिस के अनुसार, शारीक साठा के खिलाफ कुल 59 आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें चोरी-छिपे वाहनों का व्यापार-रैकेट भी शामिल है। कहा जा रहा है कि वह दुबई से मिलकर संभल में अपने काले कारोबार चला रहा था। उसी तौर-तरीके के चलते अब उसकी अचल संपत्ति पर कार्रवाई की जा रही है। एक कोर्ट के आदेश के आधार पर उसके घर और आसपास सार्वजनिक जगहों पर इस नोटिस को चस्पा किया गया है ताकि मामला सभी को पता चले।
हिंसा की पृष्ठभूमि में यह था कि स्थान-निर्धारित निरीक्षण के दौरान मस्जिद के अभ्यंतर सर्वे के समय उत्पन्न तनाव ने तुरंत आक्रोश को जन्म दिया था। इस घटना ने स्थानीय प्रशासन तथा कानून-व्यवस्था पर व्यापक सवाल खड़े कर दिए थे। अब इस क्रम में, आरोपी की संपत्ति को कुर्क करना एक संकेत माना जा रहा है कि प्रशासन इस मामले में सुस्त नहीं है और अपराध-संबंधी संपत्तियों को दंडात्मक कार्रवाई के रूप में निशाना बना रहा है।
प्रशासन का कहना है कि नोटिस चस्पा कर दिया गया है ताकि आगे कुर्की-कार्रवाई को कानूनी रूप से मजबूत बनाया जा सके। इसके पश्चात यदि आरोपी या उसके सहयोगी संपत्ति को छुपाने या स्थानांतरण करने की कोशिश करते हैं, तो कार्रवाई की तैयारी पहले से की जा चुकी होगी। इस तरह का कदम विशेष रूप से इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह न सिर्फ आरोपी तक पहुंचने का मार्ग खोलता है बल्कि घटनास्थल-पास के अशांत माहौल को नियंत्रित करने की दिशा में भी एक संदेश है।
हालाँकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि शारीक साठा को गिरफ्तार किया गया है या नहीं — समाचार स्रोतों में कहा गया है कि वह फरार चल रहा है। इस स्थिति में, जब आरोपी विदेश में बैठा हुआ माना जाता है, तो संपत्ति-कुर्की एक प्रभावी उपाय हो सकती है जिससे उसकी गतिविधियों को रोका जा सके।
इस पूरे घटनाक्रम से एक बहुआयामी प्रश्न उठता है — किस तरह से संचालित अपराध-साजिशें सामाजिक-धार्मिक तनाव को भड़का सकती हैं, और कानून-व्यवस्था को किस तरह से संपत्ति-कुर्की आदि उपायों के माध्यम से प्रभावी रूप से जवाब देना चाहिए। संभल मामले में देखा गया है कि स्थानीय स्तर पर एक धार्मिक स्थल-सर्वे के बहाने हिंसा भड़क सकती है और उसके पीछे अपराध-जाल, बाहरी तत्वों की संलिप्तता, वित्तीय-पारदर्शिता की कमी जैसे कारक काम करते हैं।
समापन में कहा जा सकता है कि इस कार्रवाई से यह संकेत मिलता है कि उत्तर प्रदेश सरकार तथा संबंधित पुलिस प्रशासन अब “कानून के दायित्व से आगे बढ़कर” अपराधियों की संपत्तियों को छोड़ने नहीं दे रहा है। यदि यह प्रक्रिया न्यायसंगत, पारदर्शी और निष्पक्ष रूप से आगे बढ़ी, तो न सिर्फ इस मामले में बल्कि भविष्य में इस तरह की धार्मिक-सामाजिक हिंसा-से सम्बंधित मामलों में भी एक ठोस व्यवहारिक मॉडल बन सकता है।



