
भारत की जमीन पर चीन के कब्जे के दावे पर सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को लगाई फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने विपक्षी नेता राहुल गांधी की उस टिप्पणी पर कड़ी फटकार लगाई, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि चीन ने भारत की लगभग 2,000 वर्ग किलोमीटर भूमि पर कब्जा कर लिया है। कोर्ट ने सवाल उठाया, “आपको कैसे पता कि ये जमीन कब्जा हो गई है? अगर आप सच्चे भारतीय होते, तो आप ऐसा क्यों कहते?” सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि इस तरह के गंभीर सवाल सोशल मीडिया पर नहीं, बल्कि लोकसभा में उठाए जाने चाहिए, जहाँ वह नेता विपक्ष के रूप में मौजूद हैं।
इससे जुड़े मानहानि मुकदमे पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम राहत दी और निचली अदालत में कार्यवाही पर स्टे लगा दिया। अदालत ने यूपी सरकार और माफ़ी याचिका दायर करने वाले पक्ष को नोटिस जारी करते हुए मामले की अगली सुनवाई के लिए तीन सप्ताह बाद की तारीख तय की।
राहुल गांधी ने 2022 की अपनी “भारत जोड़ो यात्रा” के दौरान यह बयान दिया था कि एक पूर्व आर्मी अधिकारी ने उन्हें बताया कि चीन ने 2,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र भी कब्जे में लिया हुआ है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री और सरकार इस पर पूरी तरह मौन हैं।
उनकी ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत में तर्क दिया कि एक विपक्षी नेता के लिए मुद्दों को उठाना उसका लोकतांत्रिक अधिकार है और यदि वह प्रेस में छपी बात नहीं उठा सकता, तो वह नेता विपक्ष कैसे हो सकता है। लेकिन कोर्ट ने जवाब दिया कि यदि आप संसद में सवाल उठाने की क्षमता नहीं रखते, तब सोशल मीडिया क्यों?
इस फैसले के चलते राजनीतिक गलियारों में तीखी बहस छिड़ गई, जहाँ कांग्रेस समर्थकों ने विपक्ष की भूमिका की वकालत की, वहीं आलोचकों ने यह दर्शाया कि सीमापार और संवेदनशील विषयों पर बयानबाज़ी में जिम्मेदारी की कमी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जोखिमपूर्ण है।