
तालिबान के विदेश मंत्री की भारत यात्रा: एक नए दौर की शुरुआत
अफगानिस्तान के तालिबान शासन के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी को भारत आने की अस्थाई अनुमति दी गई है। अगर यह यात्रा निश्चित होती है, तो यह 2021 के बाद तालिबान के किसी उच्च स्तरीय नेता की पहली भारत यात्रा होगी।
यात्रा की पृष्ठभूमि
संयुक्त राष्ट्र की छूट
मुत्ताकी पर पहले से ही यूएन सुरक्षा परिषद द्वारा लगाए गए यात्रा प्रतिबंध हैं। फिर भी, भारत और अफगान अधिकारियों की दख़लअंदाज़ी पर उसे 9 से 16 अक्टूबर के बीच भारत यात्रा की अस्थाई अनुमति दी गई है।भारत‑तालिबान समन्वय और तैयारी
यह यात्रा भारत और तालिबान प्रशासन के बीच बढ़ते संवाद का संकेत माना जा रहा है। भारत पहले भी दुबई जैसे तटस्थ स्थानों पर मुलाकातों के जरिए तालिबान अधिकारियों से बातचीत कर चुका है।रणनीतिक महत्व और विषय
मुत्ताकी की यात्रा के दौरान व्यापार, स्वास्थ्य ढाँचे, वाणिज्यिक गतिविधियाँ और कांसुलर सेवा जैसे मुद्दे चर्चा में रह सकते हैं। इसका मकसद अफगानिस्तान के साथ भारत के संबंधों को नए पटल पर ले जाना हो सकता है।
चुनौतियाँ और संवेदनशीलताएँ
भारत ने अब तक तालिबान शासन को औपचारिक मान्यता नहीं दी है। इस यात्रा का अर्थ “स्वीकृति” नहीं माना जाना चाहिए।
मानवाधिकार, विशेषकर महिलाओं व अल्पसंख्यकों के अधिकारों को लेकर तालिबान की नीतियाँ आज भी विवादास्पद हैं। भारत को इस यात्रा के दौरान इन मुद्दों के प्रति सजग रहना होगा।
इस कदम से पाकिस्तान सहित अन्य क्षेत्रीय शक्तियों की रणनीति प्रभावित हो सकती है, क्योंकि भारत और अफगानिस्तान के बीच घनिष्ठ संबंध उनके लिए संवेदनशील विषय हो सकते हैं।