
कानपुर-देहात के चर्चित भाजपा नेता पिंटू सिंह हत्याकांड में अब एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। इस मामले में मुख्य आरोपी माने जा रहे शूटर टायसन के कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) में यह सामने आया है कि उसने डीएसपी ऋषिकांत शुक्ला को लगभग 65 बार कॉल किए थे। ये कॉल हत्या से करीब छह महीने पहले से लेकर हत्या के आठ दिन बाद तक किए गए थे। इस खुलासे ने पूरे पुलिस विभाग और प्रशासन में हलचल मचा दी है।
जानकारी के अनुसार, ये कॉल रिकॉर्ड अदालत में पेश किए गए दस्तावेजों के जरिए सामने आए हैं। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि इन कॉल्स के दौरान क्या बातचीत हुई, लेकिन लगातार संपर्क ने डीएसपी की भूमिका को संदिग्ध बना दिया है। जांच एजेंसियां अब यह पता लगाने में जुटी हैं कि क्या इन कॉल्स के पीछे कोई साजिश या अपराध में सहयोग की बात थी या ये सिर्फ सामान्य बातचीत थी।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, जांच दल इस बात की गहराई से जांच कर रहा है कि क्या डीएसपी ऋषिकांत शुक्ला किसी प्रकार से अपराधियों को मदद या संरक्षण दे रहे थे। उनके कॉल डेटा, लोकेशन और वित्तीय लेन-देन की भी समीक्षा की जा रही है। अगर आरोपों की पुष्टि होती है, तो उनके खिलाफ भ्रष्टाचार और आपराधिक षड्यंत्र के तहत कार्रवाई की जा सकती है।
उत्तर प्रदेश पुलिस मुख्यालय ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा है कि जांच निष्पक्ष और पारदर्शी होगी। वहीं स्थानीय पुलिस अधिकारियों का कहना है कि विभाग किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं करेगा। फिलहाल डीएसपी को जांच में सहयोग के लिए बुलाया गया है और उनसे पूछताछ की तैयारी चल रही है।
राजनीतिक हलकों में भी इस मामले को लेकर प्रतिक्रिया तेज हो गई है। विपक्ष ने सवाल उठाया है कि जब पुलिस अधिकारी खुद अपराधियों से संपर्क में हों तो जनता न्याय की उम्मीद किससे करे। वहीं भाजपा के कुछ स्थानीय नेताओं ने मांग की है कि इस पूरे प्रकरण की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराई जाए ताकि सच्चाई सामने आ सके।
पिंटू सिंह हत्याकांड पहले ही कानपुर और आसपास के क्षेत्रों में तनाव का कारण बना हुआ था। अब डीएसपी का नाम इस प्रकरण में आने से यह मामला और अधिक संवेदनशील हो गया है। पुलिस प्रशासन पर अब यह जिम्मेदारी है कि वह निष्पक्ष जांच कर जनता का भरोसा दोबारा कायम करे।



