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चुनाव हारने के बाद तेज प्रताप यादव बने यूट्यूबर

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बिहार की राजनीति में तेज प्रताप यादव ने हाल ही में एक नया मोड़ ले लिया है — चुनाव हारने के बाद वे अब यूट्यूबर बन गए हैं। एबीपी लाइव की रिपोर्ट के मुताबिक़, तेज प्रताप यादव (जिन्हें “तेजू भइया” के नाम से भी जाना जाता है) ने अपना यूट्यूब चैनल “TY Vlog” लॉन्च किया है, और उनका पहला व्लॉग सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।

वीडियो में वे अपने घर के गार्डन से शुरुआत करते हैं और दर्शकों को बताते हैं कि आज के व्लॉग में वे एक दूध बनाने वाली फैक्ट्री दिखाएँगे, जहाँ यह समझने की कोशिश की जाएगी कि वहां कैसे दूध प्रोसेस किया जाता है — खासकर कैसे उसे पाश्चराइज (pasteurized) किया जाता है। इसके बाद, तेज प्रताप फैक्ट्री में मैनेजर से मिलते हैं और उनसे विभिन्न तकनीकी सवाल पूछते हैं — जैसे कि दूध को कैसे टोन्ड किया जाता है, मशीनरी कैसे काम करती है, और क्वालिटी कंट्रोल का तरीका क्या है। मैनेजर भी उनकी जिज्ञासाओं का जवाब देने में खुलकर हिस्सा लेते हैं।

उनके इस कदम को राजनीतिक विश्लेषकों और जनता दोनों ही एक तरह से देख रहे हैं। कुछ लोग इसे उनकी “हार के बाद की नई राह” कह रहे हैं — महुआ विधानसभा सीट से चुनाव हारने के बाद, तेज प्रताप यादव न सिर्फ़ राजनैतिक भूमिका बदल रहे हैं, बल्कि अब एक कंटेंट क्रिएटर के रूप में खुद को एक नए रूप में पेश कर रहे हैं।

सोशल मीडिया पर यूजर्स की प्रतिक्रियाएँ मिश्रित हैं। कुछ लोग कह रहे हैं कि वे “चुनावी खर्चे की भरपाई” के लिए यह नई दिशा ले रहे हैं। वहीं, कुछ ने उनकी इस पहल की तारीफ की है और कहा है कि यह दिखाता है कि तेज प्रताप “मस्त आदमी” हैं, जो हार के बाद भी आत्म-विश्वास के साथ आगे बढ़ रहे हैं।

विश्लेषण करें तो तेज प्रताप का ये डिजिटल कदम सिर्फ मनोरंजन नहीं है, बल्कि उनके लिए एक रणनीतिक मायने भी रखता है। राजनीति में उनकी हार ने हाल में उनकी छवि को झटका दिया था, लेकिन व्लॉगिंग के जरिए वे एक नए ऑडियंस बेस को आकर्षित कर सकते हैं — खासकर युवा और सोशल मीडिया पर सक्रिय लोग। इस नए प्लेटफार्म पर वे सिर्फ राजनीति नहीं, व्यवसायों (जैसे डेयरी) और रोजमर्रा की ज़िंदगी को दिखाकर एक “लोक-नेता + आम आदमी” की छवि तलाश रहे हैं।

इसके अलावा, TY Vlog उन्हें उस मायने में आज़ादी देता है जहाँ वे राजनैतिक पचड़ों से हटकर एक अलग पहचान बना सकते हैं — एक ऐसा चैनल जो सिर्फ वोट-लहर या चुनावी भाषणों पर नहीं, बल्कि जीवन की बुनियादी आर्थिक गतिविधियों पर भी फोकस करता है। यह कदम आने वाले समय में तेज प्रताप की राजनीतिक वापसी की नींव भी बन सकता है, यदि वे इस डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म को लगातार और पुख़्ता कंटेंट के साथ इस्तेमाल करें।

संभावित चुनौतियाँ भी कम नहीं हैं: उन पर यह दबाव होगा कि वे सिर्फ “व्लॉगर की तरह दिखने” के बजाय, व्यावहारिक और ज्ञानवर्धक कंटेंट दें ताकि दर्शकों का भरोसा बना रहे। साथ ही, चैनल की सफलता उनके राजनैतिक भविष्य पर भी असर डाल सकती है — अगर TY Vlog लोकप्रिय हो जाता है, तो यह उन्हें नई राजनीतिक शक्ति प्रदान कर सकता है, लेकिन अगर नहीं, तो यह सिर्फ एक अस्थायी डिजिटल प्रयोग बनकर रह सकता है।

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