
संसद के मानसून सत्र के दौरान आज लोकसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर जबरदस्त बहस देखने को मिली। इस ऑपरेशन के जरिए केंद्र सरकार ने हाल ही में देशभर में चल रहे कथित फर्जी धर्मांतरण रैकेट का भंडाफोड़ किया था। जैसे ही इस मुद्दे पर चर्चा शुरू हुई, सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली।
सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं ने ऑपरेशन सिंदूर को देश की संस्कृति और धार्मिक स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम बताया। उनका कहना था कि यह ऑपरेशन ऐसे संगठनों के खिलाफ कार्रवाई है जो महिलाओं और कमजोर वर्गों को लालच देकर जबरन धर्म परिवर्तन करा रहे थे।
वहीं, विपक्ष ने इस ऑपरेशन पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि सरकार इस अभियान को एक खास समुदाय को निशाना बनाने के लिए इस्तेमाल कर रही है। विपक्षी सांसदों का कहना था कि इस तरह की कार्रवाइयों से समाज में डर और नफरत फैल रही है।
चर्चा के दौरान कई बार हंगामे की स्थिति बनी और सदन की कार्यवाही कुछ समय के लिए स्थगित भी करनी पड़ी। कुछ विपक्षी सांसदों ने निष्पक्ष जांच की मांग की और कहा कि अगर सरकार के पास पुख्ता सबूत हैं, तो उन्हें अदालत में पेश किया जाए, न कि सिर्फ मीडिया और संसद में आरोपों के जरिए माहौल बनाया जाए।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर जहां एक ओर जनता के बीच जागरूकता बढ़ाने की बात कही जा रही है, वहीं दूसरी ओर इसे राजनीति से प्रेरित कदम बताकर आलोचना भी की जा रही है।