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टीएमसी ने कसा निशाना, कहा—वक्तव्य ज्यादा, उपलब्धियाँ कम

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15 अगस्त 2025 को लाल किले से अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घुसपैठ को भारत के लिए एक “बड़ा संकट” करार दिया और इसे रोकने के लिए हाई-पावर्ड डेमोग्राफी मिशन शुरू करने की घोषणा की। मोदी ने कहा कि आने वाले समय में यह मिशन देश की जनसांख्यिकीय सुरक्षा को सुनिश्चित करेगा।

लेकिन प्रधानमंत्री के इस संबोधन पर विपक्षी दल तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने तीखी प्रतिक्रिया दी। पार्टी की राज्यसभा उपनेता सागरिका घोष ने सोशल मीडिया पर लिखा कि प्रधानमंत्री ने एक “नए दुश्मन”—घुसपैठियों—को निशाना बनाते हुए भाषण दिया, लेकिन देश के नागरिकों के जीवन को सीधे प्रभावित करने वाले मुद्दों पर ठोस उपलब्धियों का ज़िक्र नहीं किया। उन्होंने सवाल उठाया, “क्या प्रधानमंत्री 15 अगस्त के दिन कभी अपने 11 साल के शासनकाल की वास्तविक उपलब्धियों पर ईमानदारी से चर्चा करेंगे? उनके भाषण में वादे अधिक और नतीजे कम नज़र आते हैं।”

टीएमसी का आरोप है कि केंद्र सरकार बार-बार “घुसपैठ” जैसे मुद्दों को उछालकर जनता का ध्यान महंगाई, बेरोज़गारी, किसानों की समस्याएं, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी चुनौतियों से हटाने का प्रयास कर रही है। पार्टी नेताओं का कहना है कि मोदी सरकार को अपने किए गए कार्यों का पारदर्शी रिपोर्ट कार्ड पेश करना चाहिए, ताकि देश को पता चल सके कि 11 वर्षों में क्या बदलाव आए हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मोदी का घुसपैठ पर जोर पश्चिम बंगाल और असम जैसे राज्यों में चुनावी असर डालने की कोशिश हो सकती है, जहां यह मुद्दा लंबे समय से राजनीतिक बहस का केंद्र रहा है। वहीं, टीएमसी का यह हमला भी आने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने की दिशा में एक रणनीतिक कदम माना जा रहा है।

इस बहस ने स्वतंत्रता दिवस के बाद राजनीतिक हलकों में नया ताप ला दिया है। अब देखना यह होगा कि प्रधानमंत्री और भाजपा इस आलोचना का जवाब कैसे देते हैं और क्या वे अपनी उपलब्धियों का विस्तृत विवरण देकर विपक्ष के आरोपों को चुनौती देंगे।

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